जहानाबाद. गर रोशनी हो खुदा को मंजूर, तो आंधियों में भी चिराग जलते हैं.
इस वाक्य को चरितार्थ किया है छोटे से गांव की रहने वाली और दो बच्चों की मां खुशबू कुमारी (Khushbu Kumari) ने. जहानाबाद (Jahanabad) जिले के हुलासगंज प्रखंड के एक छोटे से गांव बतौली की रहने वाली खुशबू कुमारी ने सूबे की प्रतिष्ठित 63वीं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में दो बच्चों की देखभाल और पारिवारिक झंझटों के बावजूद 340वीं रैंक लाकर न सिर्फ अपना और अपने परिवार वालों का नाम बल्कि जिले का नाम भी रौशन किया है.
श्रम एवं प्रवर्तन अधिकारी के तौर पर चयनित
सेना से पति के रिटायर होने के बाद और अपनी दो बच्चों की परवरिश करते हुए अपनी मेहनत और लगन से बीपीएससी परीक्षा में सफलता के झंडे गाड़ कर जिले में एक कृतिमान स्थापित किया है. फिलहाल 340वीं रैंक लाने पर इन्हें श्रम एवं प्रवर्तन अधिकारी के तौर पर चयनित किया गया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों के इलावा अपने दिवंगत ससुर को देते हुए कहा कि उनकी ही प्रेरणा के कारण उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है.
पति के पेंशन से पढ़ाई का खर्च
इस सफलता में उनके सेना से रिटायर हुए पति ने भी इस परीक्षा की तैयारी में होने वाले खर्च का अपनी पेंशन से इंतजाम करते रहे. उन्होंने अपनी पत्नी की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि साल 2007 में शादी होने के बाद से उन्होंने अपनी पत्नी को इंटर की पढ़ाई के इलावा उच्च शिक्षा दिलाई और उन्हें हमेशा बेहतर करने को लेकर प्रेरित और सहयोग करते रहे. वहीं, एक बच्ची और एक चार वर्षीय लड़के की मां खुशबू कुमारी की बड़ी बेटी और पांचवीं कक्षा की छात्रा खुशी ने भी अपनी मां की तैयारी के कारण अपने छोटे भाई की जमकर देखभाल की ताकि मां की पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो.
बहरहाल, एक ओर जहां ज्यादातर महिलाएं शादी और बच्चे होने के बाद पारिवारिक उलझनों में फंस जाती है, वहीं खुशबू कुमारी ने एक मिसाल पेश की है कि पारिवारिक कार्यों का निर्वहन करते हुए भी मेहनत और लगन से बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है.
Input : News18
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