स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे अब पेंसिंल के साथ कुदाल भी उठाएंगे। स्कूली परिसार में खेती करेंगे। सब्जियां उगाएंगे। यही हरी सब्जियां उनके मध्याह्न भोजन में शामिल की जाएंगी। बच्चों को भोजन में पोषक तत्व देने का यह नया फार्मूला केंद्र सरकार ने तय किया है। खेती का सामान खरीदने को स्कूलों को पैसा भी दिया जाएगा। बिहार के 20 हजार स्कूलों में पोषण वाटिका विकसित की जाएगी। इसके लिए स्कूलों से जमीन और चहारदीवारी का ब्योरा मांगा गया है। इस बाबत गुरुवार को आदेश जारी कर दिया गया।

बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मध्याह्न भोजन (मिडडे मील) योजना शुरू की गई थी। योजना में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। राज्य में करीब 72 हजार स्कूल हैं। अब इनमें से पांचवीं और आठवीं तक के 20 हजार स्कूलों में पोषण वाटिका विकसित करने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। स्कूली परिसर की खाली जमीन पर जैविक खेती की जाएगी। यह खेती स्कूली बच्चे अपने शिक्षकों के सहयोग से करेंगे। प्रत्येक स्कूल को खाद, कुदाल, बीज सहित खेती का सामान खरीदने के लिए पांच हजार रुपए दिए जाएंगे। इसमें तीन हजार केंद्र और दो हजार रुपए राज्य सरकार देगी।

राज्य के मध्याह्न भोजन योजना निदेशक विनोद कुमार सिंह ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उनसे अपने जिलों में प्रखंडवार विद्यालयों का सर्वेक्षण कर जमीन की उपलब्धता देखने को कहा गया है। एक प्रोफार्मा भी भेजा गया है, जिस पर रिपोर्ट मांगी गई है। पूछा गया है कि कितने स्कूलों के पास जमीन है और उस पर चहारदीवारी भी है। बिना चहारदीवारी वाले स्कूलों की भी सूची मांगी गई है।

पोषण वाटिका से जहां बच्चों को जैविक ढंग से तैयार सब्जियां खाने को मिलेंगी, वहीं उन्हें खेती की व्यवहारिक जानकारी भी होगी।
विनोद कुमार सिंह, निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना

Input : Hindustan

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