नगर निगम में विज्ञापन फाइल विवाद मामले में मेयर व नगर आयुक्त के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मेयर द्वारा लगाए आरोप के बाद शुक्रवार को नगर आयुक्त संजय दूबे ने पलटवार किया। वर्ष 2009-10 से लेकर अब तक विज्ञापन से शुल्क वसूली का रिकॉर्ड जारी करते हुए कहा, उन्होंने वर्तमान में विज्ञापन मद में अन्य वर्षों के मुकाबले 54 लाख रुपए राजस्व को बढ़ाया है। अब तक पूर्व के वर्षों का जो आंकड़ा है, उसमें 31 लाख से आगे किसी वित्तीय वर्ष में वसूली नहीं हुई। ऐसे में मेरा सवाल है कि पूर्व में यह 54 लाख की राशि किसकी जेब में जाती थी। नगर आयुक्त ने बताया कि विज्ञापन के मामले में कोई गड़बड़ी नहीं है। सितंबर 2018 में ही संबंधित एजेंसी से एग्रीमेंट हो चुका है। शहर में विज्ञापन को लेकर 5 बार टेंडर निकाला गया। बाद में राशि घटा कर 70 लाख कीगई, जिसमें मेयर का अनुमोदन है। संबंधित एजेंसी ने एग्रीमेंट के एक माह के भीतर दो किस्त में राशि जमा की। नगर आयुक्त ने बताया, हाल में विभागीय गाइडलाइन पर 12 लाख की राशि जीएसटी मद में संबंधित एजेंसी से ली गई है। इसमें सब पारदर्शी है।
नगर थाना के नियंत्रण में है निगम की पुलिस बेबुनियाद आरोप लगा रहे मेयर : नगर आयुक्त
पुलिस बल के दुरुपयोग के मामले में नगर आयुक्त ने स्पष्ट किया कि निगम की पुलिस पर नगर थाने का नियंत्रण है। पुलिस बल छुट्टी भी नगर थाना से लेते हैं। पुलिस बल की क्या स्थिति है, उन्हें जानकारी नहीं दी जाती। मेयर की ओर से पुलिस बल का दुरुपयोग करने का लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। इस तरह के निराधार मुद्दों को लेकर मेयर मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। बताया कि शुरू में 10 पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति हुई थी। फिलहाल 5 महिला पुलिस बल व एक पुरुष पुलिस हैं। अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी अपर नगर आयुक्त को दी गई है। उन्हें मॉनिटरिंग करना है।
निगम लेखा शाखा में अराजकता का माहौल : संघर्ष समिति
नगर निगम की संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि निगम की लेखा शाखा में अराजकता का माहौल है। इससे होली में निगम कर्मियों का वेतन भुगतान नहीं हो पाएगा। संघर्ष समिति ने नगर आयुक्त को इस बाबत आवेदन भी दिया है। संयोजक अशोक राय और सुशील कुमार ने कहा, लेखा शाखा में सहायक वर्षों से जमे हैं, जो कर्मचारी विरोधी काम करते हैं। इससे निगम में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लेखा शाखा के कर्मियों के निजी लाभ और मनमानी के कारण रिटायर्ड कर्मियों को सेवांत लाभ नहीं मिलने का भी आरोप लगाया गया है। समिति संयोजक के अनुसार इस वजह से कर्मचारियों में आक्रोश है।
उप नगर आयुक्त का विरोध
विज्ञापन फाइल को लेकर चल रहे विवाद में निगम कर्मचारी संघ की ओर से नगर आयुक्त को आवेदन दिया गया। इसमें संघ के मंत्री सत्येंद्र सिंह ने बताया कि राजनीतिक साजिश के तहत उप नगर आयुक्त रणधीर लाल, टैक्स दारोगा पर बेबुनियाद आरोप लगाए हंै। बताया कि एक्ट के तहत कर्मचारियों पर सीधा नियंत्रण नगर आयुक्त का होता है। अनुरोध किया गया कि किसी भी पदाधिकारी, राजनीतिक पदधारक को यदि किसी अभिलेख या संचिका की आवश्यकता हो, तो संबंधित कर्मी नगर आयुक्त के माध्यम से स्वीकृति के बाद ही उपलब्ध कराएंगे।
Input : Dainik Bhaskar