नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी। विधेयक के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े। राज्यसभा में इस पर करीब 8 घंटे तक बिल पर बहस चली। शाह ने दोपहर को उच्च सदन में यह बिल पेश किया था। लोकसभा इस बिल को सोमवार को ही मंजूरी दे चुकी है। निचले सदन में विधेयक पर 14 घंटे तक बहस के बाद रात 12.04 बजे वोटिंग हुई थी। बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े थे।
राज्यसभा में कुल 240 सांसद हैं, जबकि 5 सीटें रिक्त हैं। ऐसे में कुल 245 सीटों पर बहुमत का आंकड़ा 121 होता है। 245 में से 125 सांसद समर्थन में पहले से ही विधेयक के समर्थन में थे, जबकि 113 सांसदों ने इसका विरोध किया था। 2 सांसदों ने अपना रुख साफ नहीं किया था। बुधवार को राज्यसभा में भाजपा- 83, बीजेडी-7, अन्ना द्रमुक-11, जेडीयू-6, नामित- 4, अकाली दल- 3, आजाद व अन्य- 11 सांसदों ने बिल को समर्थन दिया। वहीं कांग्रेस-46, टीएमसी-13, सपा-9, वामदल-6, डीएमके-5, टीआरएस-6, बसपा-4 ने बिल के विरोध में वोटिंग की। अन्य-21 में से भी 16 सांसदों ने बिल के विरोध में वोटिंग की। शिवसेना-3 ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी: अमित शाह
बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता बिल पर बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- यह बिल किसी की नागरिकता नहीं छीन रहा है। अमित शाह ने कांग्रेस से कहा, “मेहरबानी करके राजनीति करिए, लेकिन ऐसा करके देश में भेद नहीं खड़ा करना चाहिए। ये संवेदनशील मामले होते हैं और ये जो आग लगती है अपने ही घर को जलाती है।”
आजाद ने कहा- धर्मो के चुनाव का आधार क्या है
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा- बिल के लिए जिन धर्मों का चुनाव किया गया, उसका आधार क्या है। श्रीलंका के हिंदू और भूटान के ईसाई क्यों शामिल नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल सबको पसंद है, तो असम में ये हालात क्यों बने, त्रिपुरा में ये हालात क्यों बिगड़े? पूरे नॉर्थ ईस्ट में यही स्थिति है। तीन तलाक, एनआरसी के बाद अब सिटीजनशिप बिल लाया जा रहा है।
आनंद शर्मा ने कहा- सरकार जल्दबाजी में है
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा, ‘‘2016 में भी यह बिल लाया गया था। उस बिल में और इसमें अंतर है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। आपने (सरकार) कहा कि यह ऐतिहासिक होगा, लेकिन इतिहास इसे कैसे देखेगा? सरकार जल्दबाजी में है। हम इसका विरोध करते हैं। इसका कारण राजनीतिक नहीं, संवैधानिक और नैतिक है। बिल लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। लोगों को बांटने वाला है।’’
आगे क्या होगा?
दोनों सदनों से पास होने के बाद अब विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति इस पर अपनी सहमति दे भी सकते हैं, या नहीं भी दे सकते हैं। वे विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा भी सकते हैं। अगर विधेयक को राष्ट्रपति के किए गए संशोधनों के साथ या इनके बिना, दोनों सदनों में फिर से पास कर दिया जाता है, तो वे अपनी सहमति देने से मना नहीं कर सकते। विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।
Q&A में समझें नागरिकता संशोधन विधेयक…
1. नागरिकता कानून कब आया, वर्तमान में इसका स्वरूप कैसा है?
जवाब: यह कानून 1955 में आया। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है।
2. क्या इस कानून के तहत अवैध तरीके से दाखिल हुए लोगों को भी नागरिकता मिल सकती है?
जवाब: भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती। उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं।
3. सरकार क्या संशोधन करने जा रही है?
जवाब: संशोधित विधेयक में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 11 साल से 6 साल किया गया है। मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी।
4. विपक्ष क्यों विरोध कर रहा?
जवाब: इसके 2 बड़े कारण हैं। पहला- इस बिल को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया जा रहा है क्योंकि पड़ोसी देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने में ढील दी जा रही है लेकिन मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। दूसरा- पूर्वोत्तर राज्यों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा।
6. इस बिल के पक्ष में सरकार के क्या तर्क हैं?
जवाब: सरकार का कहना है कि पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलना पड़ा है और इस डर के कारण कई अल्पसंख्यकों ने भारत में शरण लेकर रखी है। इन्हें नागरिकता देकर जरूरी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
7. बिना दस्तावेजों के रहने वाले गैर-मुस्लिमों को भी क्या नागरिकता मिल सकती है?
जवाब: जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है या उनके दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई है, उन्हें भी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा रहेगी। बिना वैध दस्तावेजों के पाए गए मुस्लिमों को जेल का निर्वासित किए जाने का प्रावधान ही रहेगा।
Input: Dainik Bhaskar