पटना. बिहार में कार्यरत एक लाख से अधिक शिक्षकों का लेखा-जोखा नीतीश सरकार (Nitish Government) के पास नहीं है. बिहार के शिक्षा विभाग ने खुद इस बात को माना है कि राज्य के 1 लाख 10 हजार 410 नियोजित शिक्षकों (Bihar Teachers) का फोल्डर गायब है. सबसे अहम बात यह है कि गायब हुए इन फोल्डर्स की खोजबीन एक-दो महीने से नहीं, बल्कि पिछले 5 सालों से की जा रही है लेकिन इसका सुराग अभी तक नहीं मिला है.
पटना हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एक बार फिर नियोजित शिक्षकों के गायब फोल्डर की खोज शुरू हो गई है और शिक्षा विभाग एक्शन में है. इस मसले को लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने सभी डीईओ और डीपीओ को पत्र लिखा है. पत्र में नियोजित शिक्षकों से जुड़ी मेधा सूची और फोल्डर निगरानी विभाग को जल्द उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है.
23 दिसंबर तक की मोहलत
निदेशक ने इसको लेकर बतौर डीईओ, डीपीओ को नियोजन इकाई के अलावा पंचायत सचिव, नियोजन इकाई के सभी सदस्यों के साथ बैठक कर 23 दिसम्बर तक विभाग को रिपोर्ट समर्पित करने का भी आदेश जारी किया है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने रंजीत पंडित द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई दो दिनों पहले की थी. इसमें कोर्ट ने सरकार को इस मामले में जवाब देने के लिए अंतिम समय भी दिया है.
फर्जीवाड़े की आशंका
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री के आधार पर नियोजन इकाई से बहाल कई लोग नौकरी कर रहे हैं. अभी तक उन शिक्षकों का फोल्डर भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस मामले में अगली सुनवाई भी 9 जनवरी 2021 को होगी.
क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार फोल्डर ढूंढने का काम पिछले पांच साल से करा रही है, वहीं जानकारी के मुताबिक नियोजित शिक्षकों के 2.13 लाख दस्तावेजों की अब तक जांच हो पायी है. बिहार में कुल तीन लाख 65 हजार 152 प्रारंभिक शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जा जानी है. ये सभी वैसे शिक्षक हैं जिनका नियोजन 2006 से 2015 के बीच हुआ था.
Source : News18