त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर धीरे-धीरे सरगर्मी बढ़ती जा रही है। एक तरफ प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारी चल रही है वहीं दूसरी तरफ भावी प्रत्याशी भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वे वोटरों के दरबार में पहुंचना शुरू कर दिए हैं। चौक-चौराहों और गांव की गलियों में भी लोगों के बीच इस चुनाव की चर्चाएं होने लगी है।

खासकर पीएम आवास योजना, सात निश्चय के तहत नली गली, हर घर नल जल योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राशन कार्ड का लाभ अब तक जिसे प्राप्त नहीं हुआ है विपक्षी वैसे मतदाताओं को भुनाने में लगे हैं। भावी उम्मीदवार इसे मुद्दा बनाकर तूल देने में लगे हुए हैं ताकि उनकी गोटी लाल हो सके।ग्रामीण बताते हैं कि जिन्होंने पंचायत में अच्छा काम किया है उनको जनता दोबारा मौका दे सकती है। जो सिर्फ काम कम और बातें अधिक तथा अपनी झोली भरते रहे उन्हें तो फिर सत्ता से बेदखल करने को मतदाता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

गायघाट प्रखंड में जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य और पंच के पद निर्धारित हैं। चुनाव की तारीख की घोषणा से पहले पंचायतों में योजनाओं के काम में भी तेजी आ गई है। जो भी बची योजनाएं हैं उसको पूरा किया जा रहा है।

वर्ष 2016 में निर्धारित किए गए आरक्षण रोस्टर के आधार पर ही इस बार का चुनाव होने जा रहा है। फिलहाल अब सबकी नजर चुनाव की घोषणा पर टिकी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर देगा। इस प्रखंड में सातवें चरण में पंचायत चुनाव निर्धारित है।

ऐसे में जनप्रतिनिधियों को भीषण गर्मी में जनसंपर्क और प्रचार-प्रसार के लिए पसीने बहाने पड़ेंगे।

एक तरफ गेहूं की कटनी और मांगलिक कार्य होंगे वहीं दूसरी तरफ चुनाव को लेकर गतिविधि तेज रहेगी। इधर, जो उम्मीदवार चुनाव लड़ने वाले हैं वे सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने में जुटे हुए हैं और अपने को समाजसेवी बताकर चाहे वह कोई मांगलिक कार्यक्रम हो अथवा अन्य आयोजन, उसमें भागीदारी से चूक नहीं रहे हैं। फिलहाल भैया, चाचा, दादा, बाउजी आदि का भाव प्रकट कर भावी प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में लगे हुए हैं लेकिन वोटर ऐसे छद्म वेश वाले भावी प्रत्याशियों से सावधान भी दिख रहे हैं।

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