पटना हाईकोर्ट के सीनियर जज राकेश कुमार ने जब बुधवार को पूर्व आईएएस केपी रमैय्या की खारिज अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की तो उन्होंने न केवल राज्य सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों की खिंचाई की, बल्कि उच्च न्यायपालिका तक को भी नहीं छोड़ा। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से ही संरक्षण मिल जाता है, जिस कारण उसके हौसले बुलंद रहते हैं। पटना हाईकोर्ट के इतिहास में यह पहला न्यायिक आदेश है, जिसमें खुद न्यायपालिका को भी कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। कोर्ट ने करीब दो घंटे में लिखाये गए आॅर्डर की प्रतिलिपि पीएमओ, कॉलेजियम, केन्द्रीय कानून मंत्रालय और सीबीआई के निदेशक को अग्रसारित करने का निर्देश दिया।
बुधवार को बिहार महादलित विकास मिशन योजना में 5.55 करोड़ के घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस रमैय्या को निचली अदालत द्वारा जमानत दिए जाने पर कोर्ट ने कहा कि जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उसे बर्खास्तगी की जगह मामूली सजा मिली।
बताते चलें कि पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने केपी रमैय्या को निचली अदालत में सरेंडर करने का निर्देश दिया था। नियमत: विजिलेंस से जुड़े होने के कारण विजिलेंस जज मधुकर कुमार की अदालत में जमानत पर सुनवाई होनी चाहिए थी। वे एक दिन की छुट्टी पर थे और उनकी जगह पर प्रभारी न्यायिक पदाधिकारी विपुल कुमार सिन्हा को चार्ज सौंपा गया था। उसी दिन रमैय्या ने बेल-कम-सरेंडर याचिका दायर कर बड़ी आसानी से जमानत ले ली थी।
न्यायाधीश कुमार ने कहा कि यह बाद में पता चला कि मुख्य न्यायाधीश के आगे-पीछे हाईकोर्ट के सीनियर जज तक लगे रहते हैं, ताकि उनका भ्रष्टाचार भी छिप जाए। उन्होंने ने कहा कि जब हमने न्यायाधीश पद की शपथ ली थी, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज भी मुख्य न्यायाधीश को मस्का लगाने में मशगूल रहते हैं, ताकि उनसे कोई फेवर लिया जा सके और भ्रष्टाचारियों को भी संरक्षण मिलता रहे।
एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के लिए बेली रोड, सर्कुलर रोड एवं अणे मार्ग में बंगले आवंटित किये जाते हैं, लेकिन इसके साज-सच्जा में करोडों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं। जबकि यह टैक्स पेयर की ही दी हुई राशि होती है।
गौरतलब है कि राकेश कुमार हाईकोर्ट के वरीय न्यायाधीश हैं और वे हाईकोर्ट प्रशासन के महत्वपूर्ण अंग भी हैं। उन्होंने सवाल किया केपी रमैय्या की सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद भी उनको किस परिस्थिति में उन्हें नियमित जमानत दे दी गई? कोर्ट ने कहा कि जिला जज इस पूरे प्रकरण की जांच करें और तीन सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें।
क्या कहा जज ने
हाईकोर्ट के न्यायाधीश को बंगला आवंटित होते ही रख-रखाव और साज-सज्जा पर लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं। एक जज ने तो अपने बंगले के रख-रखाव और सौंदर्यीकरण में एक करोड़ से भी ज्यादा रुपये खर्च करवा दिए,जबकि यह राशि गरीब जनता की गाढ़ी कमाई की है।
– जस्टिस राकेश कुमार
पटना जिला अदालत में रिश्वतखोरी के स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच
हाईकोर्ट की इसी पीठ ने पटना जिला न्यायालय में हुए रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई को जांच का आदेश दे दिया है। सीबी आई को तीन सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। मालूम हो कि एक निजी चैनल द्वारा 17 अधिकारियों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि किस प्रकार से ये अधिकारी अभियुक्तों की मदद करते हैं। इस प्रकरण में किसी भी कर्मचारी एवं अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़े लोगों को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए। पटना हाईकोर्ट के इतिहास में यह पहला न्यायिक आदेश है जिसमें खुद न्यायपालिका को भी कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। कोर्ट ने करीब दो घंटे में लिखाये गए आॅर्डर की प्रतिलिपि पीएमओ, कॉलेजियम, केन्द्रीय कानून मंत्रालय और सीबीआई के निदेशक को अग्रसारित करने का निर्देश दिया।
Input : Dainik Jagran