आखिर इंतजार की वो घड़ी खत्म हुई, जिसका श्रद्धालु भक्तों को कई दिनों से इंतजार था। नवरात्र के सातवें दिन शनिवार को पूजा पंडालों में मां के पट खुलते ही मां के जयकारे से वातावरण गूंज उठा।
इसके पूर्व निमंत्रण दिए बिल्व वृक्ष के पास जाकर फल तोड़कर लाया गया। फिर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद पत्रिका-प्रवेश हुआ। उसके बाद मां का पट खुला। इस दौरान भक्तों की उमंग देखते बनती थी। शाम ढलते ही लोग मां के दर्शन के लिए शहर में निकल पड़े।
सड़क किनारे दुकानें भी सज चुकी थी। बच्चे तो बच्चे, युवा व बुजुर्ग भी मेला का आनंद लेने में लगे रहे। पूजा पंडालों में लोगों को आकर्षित करने का हरसंभव प्रयास किया गया था। कहीं असुर का वध करतीं मां का चलंत दृश्य दिखाया गया था, तो कहीं एतिहासिक कलाकृतियों के पंडाल लोगों को रोमांचित कर रहे थे। विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी पूरा इंतजाम था। इस बीच शहर की सड़कों पर बेतरतीब वाहन पार्किंग व जहां-तहां लगाए गए ठेले के कारण दर्शन के लिए निकले भक्तों को जाम का सामना भी करना पड़ा।
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