शनिवार, 15 फरवरी को सर्वार्थ सिद्ध योग है। इस योग में किए गए पूजा-पाठ और शुभ काम जल्दी सिद्ध हो सकते हैं। इसीलिए अधिकतर लोग इस योग में नए काम की शुरुआत करना पसंद करते हैं। शनिवार को ये योग होने से इस दिन शनि की विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार नौ ग्रहों में शनि को न्यायाधीश माना गया है। ये ग्रह ही हमारे कर्मों का शुभ-अशुभ फल प्रदान करता है। शनिदेव सूर्य पुत्र हैं।

हनुमानजी और शनि के बीच हुआ था युद्ध

पं. शर्मा के अनुसार हनुमानजी और शनि से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। इस कथा के अनुसार पुराने समय में इन दोनों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें शनि पराजित हुए थे। हनुमानजी के प्रहारों से शनि को असहनीय दर्द हो रहा था। तब हनुमानजी ने उन्हें शरीर पर लगाने के लिए तेल दिया था। ये तेल लगाते ही शनि की पीड़ा दूर हो गई। तभी से शनि को तेल लगाने की परंपरा चली है। तेल का कारक शनि ही है, इसीलिए हर शनिवार तेल का दान करने का विशेष महत्व है।

शनि की पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें

शनि पूजा करते समय तांबे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है। शनि और सूर्य एक-दूसरे के शत्रु माने गए हैं। इनकी पूजा में लोहे के बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए। लोहे का या मिट्टी का दीपक जलाएं, लोहे के बर्तन में भरकर शनि को तेल चढ़ाएं।

ध्यान रखें शनि को लाल कपड़े या लाल फूल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि ये चीजें मंगल ग्रह से संबंधित हैं। ये ग्रह भी शनि का शत्रु है। शनिदेव की पूजा में काले या नीले रंग की चीजों का उपयोग करना शुभ रहता है। शनि को नीले फूल चढ़ाना चाहिए।

शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी माने गए हैं, इसलिए इनकी पूजा करते समय या शनि मंत्रों का जाप करते समय भक्त का मुख पश्चिक दिशा में ही होना चाहिए। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप करना चाहिए।

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.