बढ़ी कीमतों के कारण रसोई के साथ पोहा, कचौरी, गोलगप्पे से प्याज पूरी तरह गायब हो चुका है। साथ ही नॉनवेज के बाजार में भी काफी गिरावट आई है। लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक चिकेन और मटन की बिक्री कम हो गई है। शहर के कारोबारियों ने स्वीकार किया कि प्याज के चलते चिकेन और मटन की बिक्री में कमी आई है। चिकेन और मटन का अधिकतर बाजार शादी समारोह पर टिका था, जिसके चलते थोड़े बहुत मटन और चिकेन के सप्लाई आर्डर मिल रहे थे।
चिकेन और मटन के कारोबारी अनीस खान के अनुसार, शहर के बाजार में आम दिनों में 75 हजार किलो चिकेन और 45 हजार किलो मटन की खपत है, लेकिन फिलहाल 55 हजार किलो चिकेन और 30 हजार किलो मटन की खपत हो गई है। अब खरमास शुरू होने के बाद चिकेन और मटन पर और प्रभाव दिखाई देगा
नए साल में प्याज की कीमत घटने के संकेत
वहीं, जमशेदपुर में अफगानस्तिान और तुर्की से आया प्याज भी लोगों को राहत नहीं दे पा रहा है। विदेश से आया प्याज बिका तो महज 60 रुपये किलो, लेकिन मांग के हिसाब से स्टॉक नहीं रहने पर नासिक के प्याज की कीमत पर इसका कोई असर नही पड़ा। नासिक का प्याज अब भी खुदरा बाजार में 100 किलो ही बिक रहा है।
परसूडीह बाजार समिति में अफगानस्तिान और तुर्की का प्याज केवल पांच टेंपो ही आया है। ये प्याज चक्रधरपुर से परसूडीह मंडी भेजा गया, लेकिन एक तो स्टॉक कम था और दूसरा उपभोक्ताओं के हाथ लगने से पहले ही होटल कारोबारियों ने इसे हाथों-हाथ खरीद लिया।
Input : Live Hindustan