चेन्नई. कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) पर काबू पाने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) ने प्रवासी मजदूरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी हैं. एक तरफ उनका रोजगार छिन गया है तो दूसरी तरफ पेट पालने की समस्या ने उनकी हालत दयनीय कर दी. इस मानवीय संकट के कारण लाखों प्रवासी मजदूर घर वापसी की कोशिश कर रहे हैं. कुछ हादसों का शिकार हो जा रहे तो कुछ भूख और थकावट के कारण दम तोड़ दे रहे हैं. इस बीच मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई के दौरान इस मामले पर कड़े शब्दों में टिप्पणी की.
राज्यवार आंकड़ा देखे सरकार : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा, ‘प्रवासी मजदूरों की स्थिति दयनीय है… यह मानवीय त्रासदी के अलावा कुछ नहीं है.’ इस बीच हाईकोर्ट ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनकी देखभाल के मामले में आड़े हाथ लिया. हाईकोर्ट ने स्थिति के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर सरकार को घेरा और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्यवार आंकड़ा देखने को कहा.
हाईकोर्ट की जस्टिस एन किरुबाकरन और आर हेमलता की बेंच ने कहा, ‘प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए कई दिनों तक पैदल सफर करते रहे, ये दुख की बात है. उनमें से कई मजदूर सड़क दुर्घटना के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए सभी राज्यों को मानवीय कदम उठाना चाहिए.’
औरंगाबाद जैसी घटना ने झकझोर कर रख दिया
कोर्ट ने कहा, ‘पिछले दिनों औरंगाबाद ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की दर्दनाक मौत जैसी घटनाओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया. इन्हें देखकर शायद ही किसी का दिल ना पसीजा हो. आंसुओं को रोक पाना मुश्किल था. यह एक मानवीय त्रासदी है.’
कोर्ट की टिप्पणी के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने प्रवासियों से अपील की कि वे शिविरों मे ही रहें. सरकार उनकी हर तरह से मदद करेगी. उन्होंने कहा, ‘हम आपको वापस भेजने के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय कर रहे हैं. तब तक आप शिविरों में रहें. हम आपके ट्रेन का किराया और यात्रा का खर्च उठाएंगे.’ उन्होंने कहा कि लगभग 53 हजार प्रवासी श्रमिकों को बिहार, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और बंगाल भेजा जा चुका है.
Input : News18