बिहार का लाल और इसरो के वरीय वैज्ञानिक अमिताभ की मदद से चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-टू उतरेगा। मूलत: समस्तीपुर के कुबौली गांव निवासी इसरो के वरीय वैज्ञानिक अमिताभ चंद्रयान-टू के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर हैं।
सात सितंबर को जब चंद्रयान-टू चंद्रमा की सतह पर उतरेगा तो अंतरिक्ष तक बिहार के इस प्रतिभा का पूरी दुनिया में डंका बजेगा। बचपन में खेल-खेल में रेडियो के कल-पुर्जे खोलकर उन्हें दोबारा जोड़ने करने का अभ्यास करने वाले अमिताभ के देश के अति महत्वपूर्ण मिशन में प्रमुख भागीदारी से एएन कॉलेज और उनका गांव गौरवान्वित है। इससे पहले 2008 में उन्होंने चंद्रयान-वन मिशन में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर अहम भूमिका निभाई थी।
1989 में एएन कॉलेज में आईएससी में दाखिला लेने वाले अमिताभ ने एमएससी इन इलेक्ट्रॉनिक्स तक की पढ़ाई यहां से की। फिर बीआईटी मेसरा से एमटेक किया। अमिताभ बताते हैं कि एमटेक करने के अंतिम वर्ष में उन्होंने प्रोजेक्ट वर्क के लिए इसरो के तीन केंद्रों पर आवेदन दिया। उन्हें बुलावा जोधपुर केंद्र से आया। 2002 में वे इसरो से जुड़े, जिसके बाद चंद्रयान-वन और अब चंद्रयान-टू मिशन के लिए उन्हें महत्वपूर्ण जवाबदेही दी गई।
लैंडर को विकसित किया : अमिताभ चंद्रयान-टू की उस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसे यह तय करना है कि चंद्रमा के किस ओर की सतह पर चंद्रयान-टू उतरेगा। पहले इस काम में रूस का सहयोग लिया जाना था, लेकिन रूस द्वारा किसी कारणवश इस मिशन से हाथ खींचने के बाद चंद्रयान-टू के लैंडर को विकसित करने की जिम्मेदारी उन्हें और उनकी टीम को दी गई।