बिहार के ला’ल रमेश रंजन ने ज’म्मू-क’श्मीर के श्री’नगर के पा’स हुई मु’ठभे’ड़ में ती’न आ’तंकियों को मा’र गि’राया।
आ’तंकियों को मुं’हतोड़ जवाब देने के दौरान रमेश को भी गो’ली लग गई और वे श’हीद हो गए। सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन भाेजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के देवटोला गांव के रहने वाले थे।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अिधकारी ने बताया कि लश्कर, हि’जबुल व जेकेआईएस के तीनों आ’तंकियों को मा’र गि’राने में रमेश रंजन की अहम भूमिका रही। रमेश सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन में तैनात थे। उनके पिता राधामोहन सिंह बिहार पुलिस से सेवानिवृत्त एसआई हैं। रमेश की पहली पोस्टिंग 2011 में ओडिशा में हुई थी। चार भाइयों में सबसे छोटे रमेश की शादी वर्ष 2016 में बड़हरा के गुंडी-सरैंया निवासी विजय राय की पुत्री बेबी राय के साथ हुई थी। उनकी अभी कोई संतान नहीं है। मंगलवार को ही शाम 7 बजे पिता से उनकी फोन पर बात हुई थी।
सीआरपीएफ के डीजी बोले-बहादुर साथी को सैल्यूट उन्होंने देश के खातिर अपने प्राण की आहूति दी है
सीआरपीएफ के डीजी एपी महेश्वरी ने कहा कि हम अपने बहादुर जवान को सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण की आहूति दे दी। बुधवार देर शाम श्रीनगर में पार्थिव शरीर को गार्ड ऑफ द ऑनर दिया गया। पार्थिव शरीर को दिल्ली भेजने की तैयारी है। वहां से पैतृक गांव भेजा जाएगा। मुठभेड़ बुधवार काे परम्पाेर इलाके में तब हुई, जब बाइक से आए तीन आतंकियों ने माेबाइल चेक प्वाइंट पर तैनात सीआरपीएफ जवानाें पर गाेलीबारी शुरू कर दी। सीअारपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि 30 साल के रमेश रंजन गाेली लगने से घायल हाे गए। बाद में उनकी माैत हाे गई। खुफिया सूचना है कि आतंकी अफजल गुरु की फांसी की 7वीं बरसी से पहले कश्मीर में बड़ा हमला कर सकते हैं। इसलिए 8 से 14 तक राज्य में हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
इनपुट : दैनिक भास्कर