बिहार के जमुई जिले में बनने वाले बिहार झारखंड के सबसे बड़े इको पार्क का निर्माण पूरा हो चुका है। 110 एकड़ में फैले इस पार्क में अशोक वाटिका, कार्बन फॉरेस्ट, कैफेटेरिया, इंटरपोर्टेशन सेंटर, चिल्ड्रेन पार्क आदि का निर्माण कराया गया है। यह देश का एक मात्र पार्क है जहां कल्प वृक्ष का वन लगाया है। इस पार्क में 277 कल्प वृक्ष लगाए गए हैं। पार्क में सैकड़ों तरह के दुर्लभ पौधे हैं। ये पौधे देश के कई हिस्सों से लाये गये हैं। इन पौधों को औषधीय गुण के अलावा कई तरह से महत्वपूर्ण माना गया है।
पर्यटक स्थल के रूप में किय गया है विकसित
इको पार्क को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर देश विदेश के मानचित्र पर भी लाने का प्रयास किया गया है। देवघर से महज 20 किलोमीटर दूर जमुई के माधोपुर एनएच 333ए के समीप बना यह पार्क राह चलते वाहन सवार यात्रियों अपनी ओर आकर्षित करता है। गेट पर बनी आकर्षक कलाकृति लोगों का ध्यान खींचती है। पार्क यहां आनेवाले लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का भी अहसास कराएगा। रावण द्वारा माता सीता का हरण कर जिस अशोक वाटिका में रखा गया था उसकी याद को ताजा करने के लिए यहां अशोक वाटिका पुष्प उद्यान का निर्माण कराया गया है। इसमें विभिन्न प्रजाति के 1100 से भी अधिक पौधे लगाए गए हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नौका विहार, झूला, स्वीमिंग पुल, रेस्टोरेंट, पार्किग स्थल, हेलीपैड आदि का भी निर्माण किया गया है।
इन प्रजातियों के लगे हैं पौधे :
इस पार्क में अश्वगंधा, अर्जुन,नीम, जामुन, कदम, सखुआ, मौलेश्वरी, बालमखीरा, चंदन, कनक, चंपा, डीएन फिस्टेल, साईकरू, प्राक्सटेल, जकरेडा, रमोनिया पाम, आंवला, अशोक, सिल्वर, कल्प, नागकेशर, बोतल बास्त्र, रेशमी, तुमा, बीजा, साल लाल, चंदन, ब्राजीली, जिलेबी, मनीला, इमली, खैर, कालाशिरिश, शाही कचनार, पीला पलास, राजश्री कमल, समुद्र फल, मोल श्री, अमेरिकी गलगल, जंगली बादाम, गौरख, तीखा, रीढा, ताल कुसुम, कठबदाम, पीला, तुरही, रेशमी, रूई, तार, बांस, बर्मी बांस आदि किस्म के पौधे लगाए जा रहे हैं।
बोले डीएम
डीएम धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि पार्क लगभग पूरा हो चुका है। पार्क को पर्यटक और पर्यावरण के लिहाज से उत्कृष्ट रूप में विकसित किया जा रहा है। पार्क में कुछ काम कराना अभी बाकी है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। पार्क में कई तरह के पौधे लगाए गए हैं।
Input : Hindustan