बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर छह पदों के लेकर प्रत्याशियों के बीच आपाधापी मची हुई है. इसमें दिलचस्प यह है कि चुनाव में पहली बार मुखिया से अधिक वार्ड सदस्य पद के लिए ज्यादा क्रेज है. सबसे अधिक वार्ड सदस्य के लिए ही नामांकन हो रहा है.
पंचायत चुनाव में पहले मुखिया पद को लेकर मारामारी होती थी. जानकारी के अनुसार राज्य में पहले चरण में दो दिनों में कुल 2526 नामांकन पत्र दाखिल किये गये जिसमें 1582 नामांकन पत्र सिर्फ वार्ड सदस्य पद के लिए है. पंचायत चुनाव 2016 के बाद बिहार सरकार ने वर्ष 2017 में बिहार वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली 2017 को लागू कर दिया. इसके साथ ही पंचायती राज संस्थाओं में वार्ड सदस्यों की भूमिका अचानक बढ़ गयी.
प्रबंधन समिति का अपना अलग खाता होता है जिसमें सरकार द्वारा राशि भेजी जाती है. इसको लेकर मुखिया संघ द्वारा कड़ी आपत्ति जतायी गयी. अंत में सरकार के निर्णय के आगे सभी विवाद समाप्त हो गया. अब वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति पंचायती राज संस्थाओं की अहम कड़ी बन गयी है.
नयी व्यवस्था के तहत पंचायतों के लिए आवंटित राशि उसके अंदर आनेवाले सभी वार्डों में बराबर भागों में बांट दिया जाता है. इससे पंचायत के अंदर सभी वार्डों में समान रूप से विकास हो रहा है. वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा वार्डसभा में पारित योजनाओं का इस राशि से क्रियान्वयन किया जाता है.
ग्राम पंचायतों में मुख्यमंत्री निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल और पक्की गली-नाली योजना हर ग्राम पंचायत के अंदर गठित वार्ड सभा तथा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से संचालित किया जाता है. इसके तहत हर वार्ड में जलापूर्ति योजना के तहत पंप संचालन का कार्य भी वार्ड सदस्य को सौंपा गया है जिसके एवज में उसको प्रति माह पांच हजार की राशि मिलती है. राज्य में एक लाख 13 हजार 307 वार्ड हैं.
Source: Prabhat Khabar
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