कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) से उबरे मरीजों को इन दिनों ब्लैक फंगस (Black Fungus) से भी जूझना पड़ रहा है। बिहार की बात करें तो पोस्ट कोविड मरीजों (Post COVID Patients) में अब तक ब्लैक फंगस के 30 मामले मिल चुके हैं। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार को पांच नए मरीज पहुंचे। वहां पहले से भी 10 मरीज चिह्नित हैं। मरीजों की अचानक वृद्धि को देखते हुए एम्स में सोमवार से 20 बेड का ब्लैक फंगस वार्ड खोलने की तैयारी की जा रही है। खतरनाक बात यह है कि मई के अंत तक ब्लैक फंगस के 1000 से 1500 तक मामले समाने आ सकते हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण, एक नजर
ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के नाक, चेहरे, दांत, आंख और सिर में दर्द रहता है। उनके नाक से पानी और खून निकल सकता है। नाक में काली पपड़ी भी जम सकती है। आंखें लाल हो सकतीं हैं, उनमें सूजन हो सकती है। कई मामलों में आंखें बाहर निकल आती हैं तथा रोशनी भी जा सकती है। प्रारम्भिक अवस्था में पहचान हो जाने पर यह संक्रमण दवा के कुछ डोज से ही ठीक हो जाता है। देर होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
बिहार में 24 घंटे के दौरान मिले नौ मरीज
बीते 24 घंटे के दौरान मिले ब्लैक फंगस के मरीजों में पांच पटना एम्स में, तीन पटना के बोरिंग रोड स्थित वेल्लोर ईएनटी सेंटर में, दो पटना के पारस अस्पताल में तथा एक कैमूर जिले के कुदरा स्थित रीना देवी मेमोरियल कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में भर्ती हैं। पटना एम्स में इलाज करा रहे तीन मरीजों में एक मुजफ्फरपुर का तथा दो पटना के हैं। पटना के वेल्लोर ईएनटी सेंटर में भर्ती मरीज पटना, बक्सर और औरंगाबाद के हैं। पटना के पारस अस्पताल में भर्ती किए गए दोनों मरीज पटना के हैं। वेल्लोर ईएनटी सेंटर में ब्लैक फंगस के तीनों मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है।
अब तक मिले 30 मरीज, पटना एम्स में सात
अभी तक पटना में मिले मरीजों की बात करें तो पटना एम्स में 15 मरीज भर्ती हैं या चिह्नित किए गए हैं। पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में दो, रूबन मेमोरियल अस्पताल में दो और पारस अस्पताल में चार मरीज मिल चुके हैं। पटना एम्स में भर्ती एक मरीज की आंख की रोशनी चली गई है तो दूसरा बेहोशी की स्थिति में है। एक के ब्रेन में भी संक्रमण है। पूरे राज्य में अभी तक ब्लैक फंगस के 30 मामले सामने आ चुके हैं।
प्रतिरोधी क्षमता के कमजोर होने पर संक्रमण
पटना एम्स के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार बताते हैं कि ब्लैक फंगस का संक्रमण शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता के कमजोर होने पर लगता है। यह फंगस नाक, गला, चेहरा, आंख और दिमाग को संक्रमित करता है। इसका एक कारण बिना डॉक्टरी सलाह लिए अपने मन से स्टेरॉयड दवा लेना भी है। कोरोनावायरस संक्रमण के इलाज में शरीर काफी कमजोर हो जाता है। साथ ही स्टेरॉयड दवा भी दी जाती है। इस कारण ऐसे मरीजाें में ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा रहता है। डॉ. संजीव कहते हैं कि कोरोनावायरस संक्रमण के इलाज में स्टेरॉयड कारगर है, लेकिन इसका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए। खासकर कैंसर, डायबिटीज व किडनी के रोग या किसी अन्य लंबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को स्टेरॉयड दवा देने में बहुत सावधानी की जरूरत होती है।
Input: Dainik Jagran