बिहार में बिजली का निजीकरण नहीं होगा। सूबे के ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इससे अवगत करा दिया है। बिहार ने दो टूक कहा है कि सरकारी बिजली कंपनियों का काम राज्य में असाधारण और उत्साहवर्धक रहा है। इसलिए निजीकरण के बजाए देश के दूसरे राज्य बिहार की बिजली कंपनी का अनुसरण करें। वहीं ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने ऊर्जा मंत्रालय के अपर सचिव(डिस्ट्रीब्यूशन) को पत्र लिखकर खुद को उस कमेटी से सदस्य के तौर पर बाहर करने को कहा है जो बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए बनी है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को बीते 13 फरवरी को लिखे पत्र में मंत्री बिजेन्द्र ने कहा है कि देश में प्रयोग के तौर पर निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति करने का जिम्मा दिया जा रहा था तो बिहार में भी गया, मुजफ्फरपुर व भागलपुर में भी इस पर काम हुआ। साल 2013 में तीनों शहरों में बिजली आपूर्ति का जिम्मा निजी एजेंसियों को दे दिया गया। लेकिन बिहार में यह प्रयोग पूरी तरह असफल रहा। तीनों शहरों में बिजली आपूर्ति बद से बदतर हो गई। किसी तरह की नई विद्युत संरचना का निर्माण भी निजी कंपनियों ने नहीं किया। बाध्य होकर निजी कंपनियों के एकरारनामे को रद्द करना पड़ा। इससे साफ है कि बिहार में बिजली के क्षेत्र में सरकारी कंपनियों की ओर से किए जा रहे कार्य सराहनीय, असाधारण व उत्साहवर्धक साबित हो रहे हैं तो निजी क्षेत्र के प्रयोग असफल रहे हैं। पहले भी बिहार ने साफ कर दिया था कि बिजली क्षेत्र में निजीकरण पर सरकार सहमत नहीं हैं।
ऊर्जा मंत्री ने तर्क दिया है कि बिहार में 95 फीसदी उपभोक्ता गैर औद्योगिक श्रेणी के हैं। उद्योग से अधिक कृषि क्षेत्र के कनेक्शन हैं। ऐसे में बिहार ने बिजली कर्मियों व इंजीनियरों का सहयोग लेकर बिजली नुकसान कम कर असाधारण काम किया है। बिहार में 2012 में बिजली बोर्ड से होल्डिंग, ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी बनी। सुशासन के कार्यक्रम के तहत 2015-20 में सीएम विद्युत संबंध निश्चय योजना के हत हर घर तक बिजली पहुंचाने का निर्णय लिया गया। मार्च 2016 से शुरू इस योजना से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने पूरे देश में सौभाग्य योजना नाम से इसे लांच किया। बिहार ने दिसम्बर 2018 के लक्ष्य से पहले अक्टूबर 2018 में ही इसे पूरा कर लिया। 2017-18 में बिहार ने शून्य आधारित टैरिफ विनियामक आयोग के समक्ष दायर कर नई शुरुआत की। आज देश के दूसरे राज्य इसका अनुसरण कर रहे हैं। संचरण-वितरण नुकसान को कम करने के लिए स्पॉट बिलिंग की शुरुआत हई। प्री-पेड मीटर पर काम चल रहा है। मीटर उत्पादकों की संख्या कम होने के कारण इसे लगाने में परेशानी हो रही है। स्मार्ट मीटर की उपलब्धता हो तो लक्ष्य से पहले यह काम भी पूरा कर लिया जाएगा।