बिहार में इस बार का लोकसभा चुनाव 2014 के मुकाबले बेहद दिलचस्प होने वाला है। 2014 के लोकसभा चुनाव जैसा माहौल बिहार में इस बार नहीं है क्योंकि पिछले चुनाव के दुश्मन इस बार दोस्त हैं। तो 2014 में राजद के साथ रहा जेडीयू उस बार इसके सामने खड़ा है। बिहार की 40 सीटों पर मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि कई विपक्षी चेहरे जो कभी सरकार के साथ होते थे इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे।
दरसल लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा आज शाम होने वाली है। अगर बिहार की बात करें तो तारीखों के ऐलान से पहले ही बीजेपी ने सभी 40 सीटें जीतने की घोषणा कर दी है। हाल के दिनों में बिहार में हुए सियासी फेरबदल और चुनाव से एक महीने से भी ज्यादा पहले सीटों के बंटवारे से बीजेपी फील गुड का ऐहसास कर रही है। 2014 के चुनाव से पहले जेडीयू बीजेपी से अलग हो गई थी लेकिन इस बार दोनों साथ हैं।
वहीं तब राजद के साथ रहने वाली जेडीयू इस बार उससे अलग होकर चुनौती दे रही है। 2015 लालू के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने वाले नीतीश एक बार फिर बीजेपी के साथ हैं तो कांग्रेस हमेशा की तरह बीजेपी के सामने खड़ी है। इन सब के बीच जहां एनडीए को मोदी-नीतीश के चेहरे पर भरोसा है तो महागठबंधन को लालू की कमी का ऐहसास भी बखूबी हो रहा है।
पांच साल के इस लंबे समय में बीजेपी से भी उसके सहयोगियों का साथ छूटा है जिसमें उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता शामिल हैं, साथ ही जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की भी कई पार्टियां भी इस चुनाव में ताल ठोंक रही हैं। बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की बात करें तो इस बार भी उसके साथ जेडीयू और एलजेपी जैसे दल हैं जिनके बीच सीटों की शेयरिंग का फॉर्म्युला भी तय हो चुका है लेकिन महागठबंधन में अभी तक न तो सीटों के बंटवारे को लेकर बात बनी है और न ही महागठबंधन की बिहार में अगुआई करने वाले नेता की।
इन सब के बीच सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक समेत बिहार में की गई शराबबंदी और सवर्णों को दिए गए आरक्षण के मसले ऐसे हैं जो एनडीए को महागठबंधन के वनस्पत फिलहाल मजबूत दिखा रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने 13 प्वांइंट रोस्टर पर भी बड़ी फैसला लेकर बड़ी जीत हासिल करने की कोशिश की है। ऐसे में यूं कहें कि इस बार पांच साल पहले की स्थिति से काफी कुछ बदल गई है।
Input : Live Bihar