बिहार रेजिमेंट के शौर्य और पराक्रम के गाथा को शब्दों में बताना संभव नहीं है. माँ भारती को जब भी शीश की जरूरत हुयी, बिहार रेजिमेंट ने झोली भर- भर कर शीश दिये. चीन और पाकिस्तान से हुए युद्धों में भारतीय आर्मी के किलर मशीन कहे जाने वाले बिहार रेजिमेंट ने दुश्मनों के पसीने छुड़ा दिये थे..माँ भारती के रक्षा में इस रेजिमेंट के कई जवानों ने अपने प्राण की आहुति भी दी है. बिहार रेजिमेंट का कौशल पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में भी है. यह रेजीमेंट भारतीय सेना का एक मजबूत अंग है.

बिहार रेजिमेंट के खौफ़ से ही दुश्मन इसे किलर मशीन कहते है. इस रेजिमेंट ने युद्ध कौशल में अपनी वीरता की छाप छोड़ी है. इस नामी रेजिमेंट का सेंटर बिहार के ही दानापुर, पटना में है. दानापुर कैंट देश के सबसे पुराने आर्मी कैंट में से है. बिहार रेजिमेंट का गठन अंग्रेजी हुकूमत के वक्त ही 1941 में हो गया था. बिहार रेजिमेंट में देशभर से लोग आते है, मुख्यतः इस रेजिमेंट में बिहार- झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश के जवान अधिक है. इस रेजिमेंट के जवान तेज- तर्रार और फुर्तीले होते है. कारगिल युद्ध के समय भी बिहार रेजिमेंट के जवानो ने अपने वीरता का परिचय देते हुए दुश्मनों के खाट खड़े दिये थे. यू ही नहीं दुश्मन इस रेजिमेंट को किलर मशीन कहते है.

बिहार रेजिमेंट का युद्ध घोष है, बजरंग बली की जय और भगवान बिरसा मुंडा की जय. इस युद्ध घोष को सुनते ही दुश्मनों के रोंगटे खड़े हो जाते है. दुश्मन भारतीय सेना की किलर मशीन के आगे थरथराने लगते है. भगवान बजरंग बली को उनके कौशल- बल और बुद्धि के लिये जाना जाता है. बजरंग बली सनातन धर्म में एक वीर और पराक्रमी भगवान के रूप में माने जाते है.. बिहार रेजिमेंट के जवान भगवान बजरंग बली को अपना आदर्श देवता मानते है. यही कारण है कि बिहार रेजिमेंट को बजरंग बली आर्मी भी कहा जाता है.. बजरंग बली स्वयं बेहद पराक्रमी, ऊर्जावान और बुद्धिमान देवता है.. बिहार रेजिमेंट भगवान बजरंग बली के नाम की जयकार से उसी ऊर्जा को ख़ुद में अनुभव करती है.

1971 के युद्ध में पाकिस्तान के 96 हजार सैनिकों ने बिहार रेजिमेंट के आगे ही बांग्लादेश में आत्मसमर्पण कर दिया था. पाकिस्तान के सेना में बिहार रेजिमेंट का इतना खौफ़ है की वो बिहार रेजिमेंट से लड़ना ही नही चाहते. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा जब किसी देश की इतनी बड़ी सेना ने बिना युद्ध किये डर से ही आत्मसमर्पण कर दिया हो.. बिहार रेजिमेंट की किलर मशीन वाली युद्ध कौशल ने पाकिस्तान को कारगिल में भी धूल चटा दिया था. बिहार रेजिमेंट देश रक्षा के हर काम मे आगे रहती है.

सूरवीर बिहार रेजिमेंट फ़िलहाल 20 बटालियन, चार राष्ट्रीय राइफल और दो टेरिटोरियल आर्मी बटालियन के साथ अभी देश की सेवा में लगा है. बिहार रेजिमेंट को अब तक 5 मिलिट्री क्रॉस, 7 अशोक चक्र, 9 महावीर चक्र, 35 परम विशिष्ट सेवा मेडल, 21 कीर्ति चक्र, 49 वीर चक्र और 70 शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. देश की शान बिहार रेजिमेंट सदैव जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा… बोलिये – जय बजरंग बली आर्मी..

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...