बीआरए बिहार विवि में स्नातक और पीजी दाखिले में आवेदन का पैटर्न बदलने जा रहा है। अब आवेदन के वक्त छात्रों से पूछा जाएगा कि वह किस जिले में पढ़ना चाहते हैं। इसके बाद वह दाखिले का विकल्प चुन सकेंगे। इस वर्ष स्नातक में सीटें खाली रह जाने और शहर के ही पांच से छह कॉलेजों में ज्यादा आवेदन होने के बाद विवि प्रशासन आवेदन की प्रक्रिया में बदलाव करने जा रहा है।
इस वर्ष शहर के कुछ कॉलेजों में 80 प्रतिशत तक आवेदन हुए। इससे बाकी जिलों के कॉलेज व संबद्ध कॉलेजों में सीटें खाली रह गयीं। 70 हजार सीटें इस वर्ष स्नातक में खाली रह गयीं। बिहार विवि के रजिस्ट्रार प्रो. राम कृष्ण ठाकुर ने बताया कि छात्रों को अपने जिला और दूसरे जिले में पढ़ने का विकल्प आवेदन के वक्त ही चुनना होगा। इससे छात्र स्पष्ट रहेंगे कि उन्हें कहां दाखिला लेना है। इससे कॉलेजों में सीटें खाली होने की समस्या नहीं रहेगी। इस पर काम कर रहे हैं।
पिछले वर्ष भी आयी थी परेशानी : पिछले वर्ष भी यह परेशानी सामने आयी थी। कई छात्रों के फॉर्म ऐसे विषय में भर दिए गए थे जो इंटर में उनके विषय ही नहीं थे। आर्ट्स के छात्रों का फॉर्म बीएससी के लिए भर दिया गया था। इसके बाद विवि के यूएमआइएस विभाग ने छात्रों को एडिट का ऑप्शन देकर विषय बदलवाया। करीब पांच हजार छात्रों ने गलत विषय भर दिये थे। मेरिट लिस्ट निकालने के समय हुई जांच के बाद यह मामला सामने आया था।
सीट नहीं भरने से तीन दिन के लिए खोलना पड़ा पोर्टल
स्नातक में सीटें नहीं भरने से विवि प्रशासन को तीन दिन के लिए फिर से स्नातक में आवेदन करने के लिए पोर्टल खोलना पड़ा। इस बार 6700 आवेदन आये। लेकिन, आवेदन फिर से शहर के ही कॉलेजों के लिए किए गए। पोर्टल पर एडिट का ऑप्शन दिया गया। 2200 छात्रों ने इसका उपयोग करते हुए विषय तो बदला, लेकिन अपना कॉलेज नहीं बदला। विवि का कहना है कि छात्र जब तक खुद से अपना फॉर्म नहीं भरेंगे, यह गलती होती रहेगी। बिहार विवि में इस बार 101 कॉलेजों में दाखिला होना है। स्नातक में दाखिले के लिए एक लाख 56 हजार सीटें हैं।
शहर के कॉलेजों के लिए आए ज्यादा आवेदन
शहर के आरडीएस, एलएस, एमडीडीएम, आरबीबीएम, और एमपी सिन्हां साइंस कॉलेज में नामांकन के लिए ही 80 प्रतिशत आवेदन आए। विवि प्रशासन ने इसका कारण छात्रों की उदासीनता और साइबर कैफे की गड़बड़ी को बताया। विवि के एक अधिकारी ने बताया कि दूर दराज से आये छात्र साइबर कैफे गये और स्नातक में आवेदन करने को कहा। साइबर कैफे संचालक ने शहर के ही कॉलेजों में आवेदन कर दिया। इससे दूसरे कॉलेजों में आवेदन ही नहीं हो सके। छात्रों को नहीं पता चला कि उनका आवेदन सिर्फ शहर के ही कॉलेजों में किया गया है।
Source : Hindustan
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