India-Russia Ak 47 203 deal: भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स की डील फाइनल हो गयी है. सबसे अच्छी बात ये है कि ये राइफल्स अब भारत में बनाई जा सकेंगी. ये इंसास के मुकाबले काफी उन्नत हैं और एक मिनट में 600 गोलियां दागने में सक्षम हैं.

भारत और रूस के बीच एके-47 203 राइफल्स को लेकर सौदा फाइनल हो गया है. अब इस राइफल को भारत में तैयार किया जाएगा. एके-47 203 को एके-47 राइफल्स का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है. यह अब इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) असॉल्ट राइफल की जगह लेगा.

इस सौदे पर एससीओ (शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के दौरान सहमति बनी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिट में हिस्सा लेने के रूस में ही मौजूद हैं. खास बात यह है कि पुराने मॉडल से उलट यह राइफल हिमालय जैसे ऊंचे इलाकों के लिए बेहतर होती है.

चीन के साथ लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों तक की सीमा पर जारी तनाव और हाल के वक्त में हुईं सैन्य झड़पों को देखते हुए यह डील एक अहम मौके पर की गई है. भारतीय सेना में INSAS का इस्तेमाल 1996 से चला आ रहा है और उसमें हिमालय की ऊंचाई पर जैमिंग और मैगजीन के क्रैक जैसी समस्याएं पैदा होने लगी हैं.

रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक, इंडियन आर्मी को करीब 7 लाख से ज्यादा एके-47 203 राइफल की जरूरत है. इनमें से 1 लाख राइफल्स आयात किए जाएंगे जबकि बाकी को देश में ही तैयार किया जाएगा.

रूस के स्पूतनिक न्यूज के मुताबिक भारतीय सेना को 7.7 लाख राइफल्स की जरूरत है. राइफल्स का भारत में निर्माण इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के संयुक्त ऑपरेशन के तहत किया जाएगा. यह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और कालाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपॉर्ट के बीच की गई डील है.

रूस निर्मित AK-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है. हर राइफल की कीमत 1100 डॉलर हो सकती है. इसमें टेक्नॉलजी ट्रांसफर और उत्पादन इकाई स्थापित करने की कीमत शामिल है. AK-203 बेहद हल्‍की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है. इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्‍तेमाल किया जाता है.

आईआरपीएल में आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) की 50.5% की हिस्सेदारी होगी. इसमें रूस के क्लाशिनकोव ग्रुप 42% का साझेदार होगा. वहीं, रूस की सरकारी एक्सपोर्ट एजेंसी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट बाकी बचे 7.5% का हिस्सेदार होगी. 7.62×39 एमएम के राइफल को उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में तैयार किया जाएगा. इस फैक्ट्री का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल किया था.

यह राइफल एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है. इसे ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्‍तेमाल किया जा सकता है. इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है. सुरक्षाबलों को दी जाने वाली इस राइफल को पूरी तरह से लोड किए जाने के बाद कुल वजन 4 किलोग्राम के आसपास होगा.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे हैं.अधिकारियों ने कहा कि सिंह रूसी पक्ष से भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अनुरोध करेंगे. भारत को एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली की पहले खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक निर्धारित है.

Source : News18

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