नई दिल्ली. चीन के साथ गहराते सीमा विवाद के बीच भारत के रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने रूस से 33 नए फाइटर विमान की खरीद को मंजूरी दे दी है. भारत 12 Su-30MKI और 21 MiG-29 विमान खरीदेगा. साथ ही भारतीय वायुसेना के पास पहले से मौजूद 59 MiG-29 फाइटर जेट को उन्नत बनाया जाएगा. खरीद और अपग्रेडेशन की इस पूरी प्रक्रिया की लागत 18,148 करोड़ रुपये आएगी. भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defense Aquisition Council) ने तीनों सेनाओं की जरूरत के हिसाब से कुल 38900 करोड़ के प्रपोजल को मंजूरी दी है.

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Sukhoi Su-57 - Wikipedia

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान स्थितियों और सेनाओं की जरूरत को देखते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई प्रपोजल को मंजूरी दी गई है.

स्वदेशी मैन्यूफैक्चरिंग पर रहेगा जोर
विज्ञप्ति के मुताबिक तकरीबन 38 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट में भारत में रक्षा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग को बड़े स्तर पर बढ़ावा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के तहत भारत में रक्षा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग पर काम किया जाएगा. भारतीय इंडस्ट्री के लिए 31130 करोड़ रुपये का प्रपोजल क्लियर किया गया है. रक्षा उपकरण भारतीय रक्षा कंपनियां और कई MSME साथ मिलकर विकसित करेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट में रक्षा उपकरणों के भारत में निर्माण के लिए करीब 80 प्रति राशि का आवंटन है.

Russia fighter jet intercepts US plane over Mediterranean Sea ...

इनमें से ज्यादा प्रोजेक्ट इस वजह से पूरे किये जा सकेंगे क्योंकि DRDO ने स्वदेशी कंपनियों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की है. इनमें पिनाका हथियार, बीएमपी हथियार, उपकरणों का अपग्रेडेशन, सेना के लिए सॉफ्टवेयर आधारित रेडियो शामिल हैं. इसके अलावा लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल सिस्टम और नेवी-एयरफोर्स के लिए Astra मिसाइल भी शामिल हैं.

RAF Typhoons scrambled twice in ONE DAY to intercept Russian ...

गहरा रहा है सीमा विवाद
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है. तीन राउंड में हुई सैन्य अधिकारी स्तर की वार्ता के बावजूद चीन अपनी सेनाएं पीछे खींचने को तैयार नहीं है. भारत की तरफ से अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा को लेकर स्पष्ट संदेश दिया जा चुका है. अपनी सुरक्षा और अखंडता का हवाला देते हुए भारत ने 59 चीनी ऐप्स को भी प्रतिबंधित करने का फैसला किया है जिसके बाद चीन की तरफ तीखी प्रतिक्रिया दी गई है.

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