जानलेवा बने डेंगू मच्छरों का मुकाबला अब टेक्नोलॉजी से किया जायेगा.कोलकाता नगर निगम ने इसकी पहल की है. नगर निगम मुख्यालय की छत पर गुरुवार को मच्छर मारने वाले ड्रोन ‘विनाश’ का सफल परीक्षण किया गया. अब तक ड्रोन का इस्तेमाल चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के लिए ही किया जाता रहा है.

शायद पहली बार कोई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन मच्छरों को मारने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है. इसका इस्तेमाल बताता है कि कीट-पतंग भी शक्तिशाली होे गये हैं. जिसके खात्मे के लिए शासन-प्रशासन को अपना ढुलमुल रवैया छोड़ कर अप-टू-डेट रहना होगा. नयी तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी हो गया है.

जिस तरह से कोलकाता में साल दर साल डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है उससे तो लगने लगा था कि महानगर ‘सिटी ऑफ ज्वाय’ के बदले कहीं ‘सिटी ऑफ ग्रीफ’ (दु:ख) न बन जाये. समय रहते निगम की आंखें खुल गयी हैं. अब देखना है कि ड्रोन ‘विनाश’ किस हद तक डेंगू फैलाने वाले मच्छर एडिस एजिप्टी का सफाया कर पाता है. इस बारे में डिप्टी मेयर अतिन घोेष का कहना है कि डेंगू फैलाने वाले मच्छर व उनके लार्वा को नष्ट करने के लिए शायद दुनिया में पहली बार कोलकाता नगर निगम ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है.

उन्होंने कहा कि सबसे बड़े ड्रोन ‘विनाश’ 200 से 250 मीटर तक उड़ सकेगा. उन्होंने कहा कि निगम के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी बंद घर, खाली जगह सहित निजी इमारतों की छत पर चढ़ कर सफाई या दवा का छिड़काव नहीं कर पाते हैं. लेकिन अब विनाश की मदद से यह भी संभव होगा.

ड्रोन न केवल वीडियोे बनाने और फोटो खींचने में सक्षम है, बल्कि यह तालाब और खालों के पानी के नमूने भी संग्रहित कर सकेगा. इन नमूनों की जांच कर हम जान सकेंगे कि पानी में मच्छर के लार्वा पनप रहे हैं या नहीं‍. उन्होंने कहा कि मच्छरों को नष्ट करने के लिए नगर निगम विज्ञान का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है. गौरतलब है कि ड्रोन उड़ाने के लिए एक निजी संस्था के साथ निगम का करार हुआ है.

 

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