मछली उत्पादन में जिला आत्मनिर्भर होगा। मत्स्य विभाग उत्पादन को 44.80 हजार मीट्रिक टन तक ले जाने की संभावना तलाश रहा है। इससे रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे। विभाग के अनुसार जलीय संसाधन से जिला परिपूर्ण है। यहां कुल पोखरों का क्षेत्रफल 12,650 हेक्टेयर, आर्द्र भूमि 4000 हेक्टेयर, मन 2500 एवं नदियां 432 किलोमीटर में फैली हुई हैं।

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अभी जिले में कुल उत्पादन 28.50 हजार मीट्रिक टन है, जबकि खपत 34.20 हजार मीट्रिक टन। विभाग का मानना है कि यदि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाए, तो 44.80 मीट्रिक टन मछली उत्पादन हो सकता है। बीती 8 अगस्त को दैनिक भास्कर ने मछलीपालन से रोजगार की संभावनाओं पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। विभाग ने भी इस पर मुहर लगाई है। साथ ही नीली क्रांति की ओर कदम बढ़ाते हुए कई योजनाओं को अमल में लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इन योजनाओं पर अमल से नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

मत्स्य बीज तैयार करने, हैचरी व अन्य योजनाओं पर 90 प्रतिशत तक अनुदान

मत्स्य पदाधिकारी टुनटुन सिंह ने कहा कि उत्पादन में जिले एवं राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य एवं केंद्रीय योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। नए तालाबों के निर्माण, आर्द्र भूमि का विकास, उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन, उन्नत इनपुट योजना, मछली सह मुर्गी पालन, मत्स्य बीज तैयार करने अाैर हैचरी आदि योजनाओं पर 40 से 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इससे किसान एवं शिक्षित बेरोजगार स्वरोजगार सृजन को लाभ मिलेगा। उधर, विभाग के अनुसार सरकार ने 23000 मछुआ बंधुओं का बीमा कराया है।

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6 लाख लोग हैं मछली पालन पर निर्भर

जिले के 6 लाख लोगों की जीविका मत्स्य पालन पर निर्भर है। मत्स्य पालकों को लागत पूंजी के रूप में 60000 रुपए प्रति एकड़ की दर से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराने का प्रावधान भी कराया गया है। ताकि, ये इसे व्यवसाय के रूप में अपना कर स्वरोजगार सृजन कर सकें।

30 हेक्टेयर में नए तालाब का हुआ निर्माण

जिला मत्स्य पदाधिकारी की मानें तो 2019-20 के तहत ताजा मछली की उपलब्धता के लिए 90 प्रतिशत अनुदानित दर पर 49 वाहनों का वितरण अनुसूचित जाति एवं अति पिछड़े व्यक्तियों के लिए किया गया है। 40 प्रतिशत अनुदानित दर पर कृषकों की जमीन पर मत्स्य पालन के लिए 30 हेक्टेयर जल क्षेत्र के तालाबों का निर्माण कराया गया है।

किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 350 आवेदन बैंक भेजे

मत्स्य कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से वित्तपोषण के लिए 350 आवेदन विभिन्न बैंकों को विभाग की ओर से भेजे गए हैं। योजनांतर्गत 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से बैंकों से मत्स्य पालन के लिए ऋण मिलेगा। 500 कृषकों को नई तकनीकी के साथ मत्स्य पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

Input : Bhaskar

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