शनिवार को भगवान हनुमान के साथ ही शनिदेव के पूजन का महत्व है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो शनि की साढ़ेसाती, ढैया या महादशा से पी’ड़ित होते हैं। शनिदेव को न्या’य और श्रम का देवता माना जाता है। इसलिए, साढ़ेसाती आदि स्थितियों में मनुष्य को श्रम अधिक करना पड़ता है तथा उसे अपने अच्छे-बुरे कामों का परिणाम भी भोगना पड़ता है। भगवान शनि के 5 ऐसे मंदिर हैं, जहां पर शनि देव की आराधना करने पर वे अपने भक्तों के सभी दुःख दूर कर देते हैं।
शनि मंदिर (कोसीकलां)
दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर कोसीकलां नाम में शनिदेव का मंदिर है। यह उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आता है, इसके आसपास ही नंदगांव, बरसाना और श्री बांकेबिहारी मंदिर भी है। कहा जाता है कि यहां की परिक्रमा करने पर मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इसके बारे में लोक मान्यता है कि यहां पर खुद भगवान कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस वन की परिक्रमा करेगा उसे शनि कभी कष्ट नहीं पहुचाएंगे।
कैसे पहुंचें – मथुरा से कोसीकलां की दूरी लगभग 21 कि.मी. की है। मथुरा तक रेल मार्ग से आकर बस या निजी वाहन से कोसीकलां पहुंचा जा सकता है। कोसीकलां से लगभग 90 कि.मी. की दूरी पर खेरिया एयरपोर्ट है।
त्रिवेणी शनि मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। सांवेर रोड पर प्राचीन शनि मंदिर भी यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। लगभग 5000 साल पुराने इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी हैं, इसलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां शनिदेव की दो प्रतिमाएं राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई थी। एक शनिदेव की है, तथा दूसरी ढैया शनि देव, जो लोग शनि की ढैया से परेशान होते हैं, वे यहां दर्शन करने आते हैं।
कैसे पहुंचें – उज्जैन देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यहां से नियमित रूप से रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। उज्जैन से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर इंदौर का एयरपोर्ट है।
शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र
भगवान शनि के सबसे खास मंदिरों में से एक है महाराष्ट्र के शिगंणापुर नामक गांव का शनि मंदिर। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर शनि देवी की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे है। इस मंदिर में कोई छत नहीं है। साथ ही इस गांव में किसी भी घर में ताला नहीं लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां के सभी घरों की रक्षा खुद शनि देव करते हैं। यहां पर शनि देन के दर्शन करने के लिए कुछ नियम-कायदे है, जिनका पालन सभी को करना पड़ता है। कहा जाता है कि यहां पर सभी भक्तों को शरीर को केसरिया रंग की धोती पहनना जरूरी होता है। साथ ही शनिदेव का अभिषेक गीले वस्त्रों में ही किया जाता है।
कैसे पहुंचें – शनि शिगणापुर पहुंचने के लिए मुंबई, औरंगाबाद या पुणे आकर शिंगणापुर के लिए बस या टैक्सी ली जा सकती हैं। यहां से सबसे पास में औरंगाबाद एयरपोर्ट है। यहां से औरंगाबाद की दूरी लगभग 90 कि.मी. है।
शनि मंदिर, इंदौर
इंदौर, मध्यप्रदेश के मुख्य शहरों में से एक है। यहां पर भगवान शनि का एक बहुत ही खास मंदिर है। यह मंदिर शनि देव के बाकि मंदिरों से अलग है, क्योंकि यहां पर भगवान शनि का 16 श्रृंगार किया जाता है। इंदौर के जूनी इंदौर इलाके में बना ये शनि मंदिर अपनी प्राचीनता और चमत्कारी किस्सों के लिए प्रसिद्ध है। शनि देव के लगभग सभी मंदिरों में उनकी प्रतिमा काले पत्थर की बनी होती है जिन पर कोई श्रृंगार नहीं होता, लेकिन ये एक ऐसा मंदिर है, जहां शनि देव को रोज आकर्षक श्रृंगार किया जाता है और शाही कपड़े भी पहनाए जाते हैं। इस मंदिर में शनि देव बहुत ही सुंदर रूप में नजर आते हैं।
कैसे पहुंचें – इंदौर, मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों में से एक है। यहां से नियमित रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। यहां एयरपोर्ट भी है, तो हवाई मार्ग की मदद से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
शनिश्चरा मंदिर, ग्वालियर
यह शनि मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में है। यह शनि मंदिर भारत के पुराने शनि मंदिरों में से एक है। लोक मान्यता है कि यह शनि पिंड भगवान हनुमान ने लंका से फेंका था जो यहां आकर गिरा। तब से शनि देव यहीं पर स्थापित हैं। यहां शनि देव को तेल चढ़ाने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा भी है। जो भी यहां आता है वह बड़े प्यार से शनि देव से गले मिलकर अपनी तकलीफें उनसे बांटता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि उस व्यक्ति की सारी तकलीफें दूर कर देते हैं।
कैसे पहुंचें – ग्वालियर, मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों में से एक है। यहां से नियमित रेल गाड़ियां और बसें चलती हैं। ग्वालियर में एयरपोर्ट भी है, तो हवाई मार्ग की मदद से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
Input : Dainik Bhaskar