आस्था का महापर्व छठ 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। छठ आते ही बड़ी खंजरपुर के मिश्रा टोला की संध्या मिश्रा के घर में चहल-पहल बढ़ जाती है। 54 वर्षीय संध्या इस बार 65 परिवारों के 133 सूप की पूजा करेंगी जो पिछले साल से दो अधिक है। छठ पर्व आते ही परिवार व दोस्तों की भीड़ अभी से जुटनी शुरू हो गयी है।

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संध्या ने बताया कि लोगों की आस्था और विश्वास के कारण प्रत्येक साल सूप की संख्या बढ़ जाती है। इस साल भी दो सूप बढ़ गया है। घर में बेटा नहीं होने के कारण सासू मां ने मन्नत मांगी थी कि अगर पोता होगा और बहू छठ व्रत करेंगी। मन्नत पूरी होने के बाद उन्होंने पहली बार 1989 में छठ व्रत की थी। उस समय पांच परिवार के 21 सूप से पूजा शुरू हुई जो धीरे-धीरे अब 65 परिवार जुड़ गये हैं और सब मिलाकर 133 सूप हो गया है।

इसमें अधिकांश रिश्तेदार और दोस्त हैं। संध्या के पति विनय कुमार मिश्रा ने बताया कि यहां कई लोगों को पुत्र, आंख की रोशनी, नौकरी आदि मन्नतें पूरी हो गयी है जिसके बाद सूपों की संख्या बढ़ती गयी।

दुर्गास्थान के समीप पोखर में खड़ी होकर करती हैं पूजा

संध्या मिश्रा ने बताया कि बड़ी खंजरपुर स्थित दुर्गा स्थान के पास उनके ससुर वीरेंद्र किशोर मिश्रा ने 1989 में पोखर का निर्माण कराया था। यहीं पहली बार छठ व्रत की थी। उसके बाद से लेकर अभी तक अर्घ्य दिया जाता है। सुबह वाले अर्घ्य के दिन मंदिर में सूर्य पुराण पाठ का भी आयोजन किया जाता है। तिलकामांझी के प्रणव दास ने बताया कि उनका भी दो सूप की पूजा संध्या मिश्रा करती हैं। लोगों की आस्था उनपर है। जो सूप उनसे कराते हैं उनकी मन्नत जरूर पूरी होती है।

पूजा के दौरान सभी करते हैं मदद

विनय बताते हैं कि कद्दू-भात व खरना के प्रसाद बनाने में सूप कराने वाली सभी परिवार की महिलाएं व्रती संध्या का सहयोग करती हैं। रेण देवी, रूबी देवी, मित्तू मिश्रा, रितु मिश्रा, निधि मिश्रा, तनिका दत्ता, रीना मजूमदार, अर्चना सिन्हा आदि उनके सहयोग में हमेशा खड़ी रहती हैं। साथ ही विक्की, रंजीत कुमार मिश्रा, देवरत घोष, संजय मिश्रा, राजन, धीरज, गौरव, सुभाष दत्ता, आदि डाला उठाकर ले जाते हैं।

Input : Hindustan

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