मुजफ्फरपुर की पहचान लीची को अब रेलवे देश के कोने-कोने तक पहुंचाएगा। इसके लिए रेलवे ने लीची को वन स्टेशन वन प्रोडक्ट में शामिल किया है। आम बजट में वन स्टेशन वन प्रोडक्ट का ऐलान किया गया है। इसके तहत हर स्टेशन से एक खास उत्पाद को रेलवे ढुलाई के लिए प्रोत्साहित करेगा। सोनपुर रेल मंडल की ओर से वन प्रोडक्ट वन स्टेशन के लिए मुजफ्फरपुर के लिए लीची का नाम रेलवे बोर्ड को सुझाया गया था।

उत्तर बिहार की लीची को किसान व कारोबारी आसानी से महानगरों के अलावा दक्षिण भारत एवं देश के सुदूरवर्ती इलाकों तक पहुंचा सकेंगे। लीची की ढुलाई के लिए रेलवे रेफ्रिजरेटर कंटेनर की व्यवस्था करेगा। इससे लीची की लाइफ बढ़ेगी। उत्तर बिहार में हर साल तीन लाख टन लीची का उत्पादन होता है। इसमें से महज 20 हजार टन लीची अन्य राज्यों में भेजी जाती है। किसान एवं व्यापारी सड़क मार्ग से ढुलाई पर अधिक खर्च नहीं कर पाते हैं।

बिहार लीची उत्पादन संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि रेलवे के सहयोग से लीची को देश के कोने-कोने तक कम खर्च पर पहुंचाया जा सकता है। लीची की मांग महानगरों एवं अन्य राज्यों में बहुत है। वहां कीमत भी बेहतर मिलती है, लेकिन यातायात की सुविधा का अभाव है। डीजल की महंगाई के कारण किसान एवं व्यापारी लीची को ट्रक से भेजने में सक्षम नहीं होते हैं। रेलवे से लीची की ढुलाई पर किफायती है। रेलवे की पहल से लीची देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी। बजट में स्टेशन पुनर्विकास पर जोर दिया गया है। इसमें पर्याप्त राशि दी गई है। इसे मुजफ्फरपुर जंक्शन को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल माना जा रहा है। साथ ही गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत तुर्की में रेलवे वाले कंटेनर टर्मिनल को भी फंड उपलब्ध कराए गए हैं। इससे जिले के किसानों के साथ उद्योगों को अपनी उपज व उत्पाद दूसरे इलाकों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

Source : Hindustan

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