नगर निगम के ऑटो टीपर खरीद घो’टाला में नगर निगम के तत्कालीन महापौर सुरेश कुमार के वि’रुद्ध निग’रानी का शि’कंजा क’सने जा रहा है. नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन महापौर सुरेश कुमार के वि’रुद्ध अभियो’जन चलाने की अनु’शंसा कर दी है. उक्त प्रस्ताव पर वि’भागीय मंत्री सुरेश कुमार शर्मा का भी अनु’मोदन प्राप्त है.
नि’गरानी अन्वेषण ब्यूरो ने नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव से महापौर सुरेश कुमार के वि’रुद्ध अभियोजन चलाने की अनुमति देने को लेकर पत्र लिखा था, जिसमें उन्हें दो’षी पाते हुए अभि’योजन चलाने की स्वीकृ’ति प्रदान की है.
प्रधान सचिव ने अपने दिनांक 12 फरवरी 2020 को ज्ञापांक संख्या 783 में लिखा है की निगरानी थाना कांड संख्या 056/2018 दिनांक 12.12.2018 एवं उसके साथ संलग्न कागजात में साक्ष्यों, अनुसन्धान प्रतिवेदन के परिशीलन के बाद सरकार को यह समाधान हो गया है की अभियुक्त महापौर सुरेश कुमार के विरुद्ध धारा 409/467/468/471/120 (बी) भा.द.वि. की धा’रा 13 (2) सहपठित धारा 13 (1) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) के अंतर्गत अभियोजन के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है.
नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव के पत्र के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 एवं दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 197 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए धारा 409/467/468/471/120 (बी) भा.द.वि. की धारा 13 (2) सहपठित धारा 13 (1) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित अधिनियम 2018) के अंतर्गत आरोपों के लिए मुजफ्फरपुर के महापौर सुरेश कुमार के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति प्रदान की जाती है. निगरानी अधिकारी महापौर के लोक सेवक होने के कारण विभाग के प्रधान सचिव की अनुमति मिलने की प्रतीक्षा में थी और अनुमति प्राप्त होते ही अभियोजन चलाए जाने की प्रक्रिया में जुट गई है. बता दें की ऑटो टीपर आपूर्तिकर्ता मौर्या मोटर्स पाटलीपुत्रा के मोहन हिम्मत सिंग्गा को भी इस मामले में आरो’पित बनाया गया है.
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक को भेजे अपने पत्र में विभाग के प्रधान सचिव ने लिखा है की बिहार न्यायपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (5) में मुख्य पार्षद द्वारा कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने पर सरकार द्वारा उन्हें समुचित अवसर प्रदान करते हुए उन्हें हटाने की शक्ति प्रदत्त है तथा अधिनियम की धारा 17 (4) के प्रावधानों के अनुसार नगर परिषद् के वार्ड पार्षद को पद से हटाने हेतु सक्षम प्राधिकार राज्य सरकार (नगर विकास एवं आवास विभाग) है तथा अभिकथित हैं की महापौर सुरेश कुमार ने अपराध अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य करते या कार्य करने का तात्पर्य रखते हुए किया है.
नगर निगम में ऑटो टिपर घोटाले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच में प्रथमदृष्टया मामला सत्य पाया गया था. जांचकर्ता निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी मनोज कुमार ने महापौर समेत सभी आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन चलाने के प्रस्ताव संबंधी पत्र निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक को सौंपा था. आरोपितों के लोक सेवक होने के कारण निग’रानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव से अभियोजन चलाने की अनुमति देने का आग्रह किया था, जिसकी स्वीकृति बुधवार 12 फ़रवरी को प्राप्त हुई है.
क्या है मामला
शहर की साफ-सफाई के लिए मुजफ्फरपुर नगर निगम की ओर से वर्ष 2017 नवंबर में 50 ऑटो टीपर खरीद की निविदा निकाली गयी थी. निविदा में शामिल एक आपूर्तिकर्ता तिरहुत ऑटो मोबाइल के प्रोपराइटर संजय गोयनका ने निग’रानी अन्वे’षण ब्यूरो में कम कीमत के बदले अधिक कीमत वाले आपूर्तिकर्ता को निविदा की स्वीकृति देने की शिका’यत की गई. निगरानी अन्वे’षण ब्यूरो की जांच में 3.80 करोड़ से अधिक के इस खरीद मामले में करोड़ों रूपए के घो’टाला की बात प्रकाश में आई थी. ब्यूरो ने अक्टूबर 2018 में महापौर सुरेश कुमार सहित दस आरो’पितों के विरुद्ध निगरानी थाना में मामला दर्ज किया था.
बताया जाता है की तत्कालीन नगर आयुक्त व अपर समाहर्ता रंगनाथ चौधरी को भेजे एक पत्र में महापौर ने ऑटो टीपर आपूर्तिकर्ता मौर्या मोटर्स पाटलीपुत्रा को 10 प्रतिशत काट कर भुगतान करने की बात लिखी थी, जबकि तत्कालीन नगर आयुक्त ने भुगतान से पहले परिवहन विभाग से जां’च कराने की बात कही थी.
मामले में महापौर सुरेश कुमार ने कहा है की ऑटो टिपर घोटाले में मैं पूर्णतयः निर्दोष हूँ, कोई घोटाला हुआ ही नहीं है. न मैं इसके निविदा प्रक्रिया में हूँ और न ही क्रय समिति में हूँ, केवल मेरे 3 हस्ताक्षर हैं, एक स्थायी समिति की बैठक में एक बोर्ड में और तीसरा भुगतान प्रक्रिया में. अगर मामले में मेरी भूमिका सत्य पायी जाती है या मामले में 3 से अधिक हस्ताक्षर पाए जाते हैं तो मैं पद से इस्ती’फा देने को तैयार हूँ. यह एक न्यायिक प्रक्रिया हैं, और इसमें मैं दोषी नहीं हूँ.
मामले में वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिन्हा उर्फ पप्पू ने कहा की वर्तमान महापौर सुरेश कुमार के कारनामो से मुजफ्फरपुर जिला राज्य स्तर पर शर्मसार हो रहा है. महापौर नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दें अन्यथा हम सब आंदोलन करने को विवश होंगे. उन्होंने नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री से तत्कालीन महापौर को हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा की दुर्भाग्य की बात है की ऐसा महापौर जिले को मिला जिस पर अभियोजन चलाने की स्वीकृति सरकार द्वारा दी गई है, जिस पर घोटाला मामले में निगरानी आ’रोप पत्र दाखिल करेगी.
विभाग द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार महापौर पर अभियोजन चलाये जाने की बात पर वार्ड पार्षद संजू केजरीवाल ने कहा की आरोप लगने के बाद भी वह पद पर बने हैं यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारे नगर निगम का मुखिया अपने गलत कृ’त्य से फंस चूका है, उसके बाद साजिश के तहत फंसाये जाने की बात कह रहे हैं, जो हास्यास्पद प्रतीत होता है. बावजूद इसके इस साजिश का पर्दाफाश करने की भी मांग करता हूँ. उन्हें इस्तीफा देकर न्यायलय के शरण में जाकर साजिशन फंसाये जाने को लेकर गुहार लगानी चाहिए.
पूर्व वार्ड पार्षद विजय झा ने कहा की महापौर खुद को नगर निगम का मालिक समझते हैं, स्मार्ट सिटी के काम में रोड़ा अटकाते हैं, जब से पदासीन हुए हैं तब ले कर अभी तक शहर में कैसा विकास हो रहा है सभी जानते हैं. कभी अधिकारियों से उलझते हैं तो कभी नगर आयुक्त से. महापौर के हरकतों से हम सब का सर शर्म से झुक गया है. उन्होंने महापौर से अपील करते हुए कहा की नगर निगम और शहर की प्रतिष्ठा को बचाते हुए नैति’कता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे और न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दें.