मुजफ्फरपुर (अरुण कुमार ) : मुजफ्फरपुर नगर निगम में मेयर और उपमेयर की कुर्सी को लेकर एक बार फिर से जंग छिड़ चुकी है. महापौर और उपमहापौर के खिलाफ शुरू हुआ पार्षदों के विरोध का बवाल थमने का नाम नहीं रहा है. मुजफ्फरपुर जिले के मेयर सुरेश कुमार और उपमेयर मानमर्दन शुक्ला की कुर्सी एक बार फिर खतरे में पड़ गई है.
डेढ़-डेढ़ दर्जन निगम पार्षदों ने क्रमशः मेयर और उपमेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है. रविवार को अवकाश होने के कारण उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पत्र महापौर के निजी सचिव को हस्तगत कराई थी वहीं आज सोमवार को कार्यालय खुलते ही महापौर के खिलाफ पारित अविश्वास प्रस्ताव से सम्बंधित पत्र नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव, तिरहुत प्रमण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त और उप महापौर के कार्यालय में हस्तगत कराई गई हैं.
लगातार समझाने-बुझाने और गोलबंद करने के बाद भी महापौर से नाराज चल रहे पार्षदों ने दोबारा से अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना ही लिया था जिसका परिणाम आज सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के रूप में सामने आया है.
पार्षदों का कहना है कि उन्होंने सुरेश कुमार को महापौर के पद पर इस उम्मीद और विश्वास के साथ बिठाया था कि उनके नेतृत्व में मुजफ्फरपुर नगर निगम का चौमुखी विकास होगा. लेकिन मेयर की उदासीन कार्यशैली ने हम पार्षदों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. पार्षदों ने आरोप लगाया कि मेयर ने अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन नहीं किया. अपने कार्यकाल में जनता और जनप्रतिनिधियों की आकांक्षाओं-उपेक्षाओं के विपरीत कार्य करते हुए पूर्णतः विश्वास खो दिया है.
पार्षदों ने अपने पत्र में लिखा है कि पार्षदों की अवमानना, जनहितों की उपेक्षा और अपने अक्षम नेतृत्व में अनियमितता और घोटालों का आलम रहा. कई घोटालों में मेयर की संलिप्तता उजागर हुई. ऑटो टिपर खरीदारी में निगरानी विभाग द्वारा आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है साथ ही डस्टबिन खरीदगी घोटाले में संलिप्तता. पार्षदों ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि सशक्त स्थायी समिति की बैठक माह में दो बार और निगम बोर्ड की बैठक माह में एक बार किया जाना अनिवार्य है, पर इसमें भी मेयर सुरेश कुमार लापरवाह एवं अक्षम साबित हुए हैं.
अक्षम नेतृत्व का ही नतीजा है की स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में शहर सबसे नीचे पायदान पर है और शहरवासियों को अब तक जल-जमाव और कूड़ों के अम्बार से मुक्ति नहीं मिल सकी है. पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में भी फिसड्डी साबित हुए हैं. मुख्यमंत्री सात निश्चय गली-नली योजना हो या नल-जल योजना कोई भी कार्य सही ढंग से अभी तक धरातल पर पूर्ण रूप से नहीं उतारी गई है. पार्षदों ने आरोप लगते हुए लिखा है कि मेयर के कार्यकाल में उनके द्वारा कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया गया है जिससे पार्षदों का मान-सम्मान बचे या आम जनता की समस्या का कोई निदान सफल रूप से हुआ हो.
पार्षदों ने पत्र में जनहित एवं लोकतंत्र के हितों का हवाला देते हुए बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 25(4) के साथ गठित बिहार न्यायपालिका प्रस्ताव प्रक्रिया नियमावली 210 के नियम-2 के तहत मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जल्द से जल्द पार्षदों की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है.
हालांकि तीसरे मोर्चा के पार्षद अविश्वास प्रस्ताव में शामिल होने की बात से इन्कार कर रहे हैं. महापौर और उपमहापौर दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में किंगमेकर की भूमिका महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण मानी जा रही है. उनके समर्थक पार्षद जिस ओर जाएंगे वह गुट ही भारी पड़ेगा. मेयर का चुनाव लड़ चुके वार्ड 46 के पार्षद नंद कुमार प्रसाद साह के समर्थक पार्षद भी इस अभियान में जुटे हैं कि इस बार महापौर को टक्कर देने का मौका उन्हें ही मिलना चाहिए. अब समर्थक पार्षदों को अज्ञातवास पर ले जाने की तैयारी भी दोनों खेमे ने शुरू कर दी है.
बता दें कि बीते रविवार को ही महापौर सुरेश कुमार की दूसरी पारी के कार्यकाल पूरा हो गया. महापौर सुरेश कुमार को दो साल पूर्व भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था जिसमें मिली हार के बाद उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी, लेकिन चुनाव में फिर से जीत हासिल कर अपनी उन्होंने अपनी खोई कुर्सी पुनः हासिल कर ली थी.
इधर यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि उपमहापौर के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव से कई पार्षद इन्कार कर सकते हैं. ऐसे में उपमहापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने की सम्भावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता.