बिहार की राजनीति का एक अध्याय का आज समापन हो गया। बिहार और देश की राजनीती में डॉ जगन्नाथ मिश्रा ने मिथिला के वर्चस्व को इन्होंने कई वर्षों तक कायम रखा। अफसोस कि आज भी ये जगह रिक्त ही लग रही है। शत-शत नमन…विनम्र श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जगन्नाथ मिश्रा के नि,धन पर शोक संवेदना जताई है। जगन्नाथ मिश्रा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा। इसके साथ ही बिहार में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
डॉ जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने। उनकी रुचि राजनीति में बचपन से ही थी। उनके बड़े भाई, ललित नारायण मिश्रा राजनीति में थे और रेल मंत्री थे।
जगन्नाथ मिश्रा विश्वविद्यालय में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वह 1975 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार उन्हें 1980 में कमान सौंपी गई और आखिरी बार 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वह 90 के दशक के बीच केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे। बिहार में डॉ मिश्रा का नाम बड़े नेताओं के तौर पर जाना जाता है। कांग्रेस छोड़ने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
Input : Daily Bihar