श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) के मुताबिक राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण 1 हजार साल की आयु का विचार कर करवाया जा रहा है. जोकि हवा, धूप और पानी से क्षरण की मार को पत्थर के सहने की क्षमता पर आधारित होगा. लार्सन एंड टूब्रो कंपनी, आईआईटी के इंजीनियरों की तकनीकी सहायता भी निर्माण कार्य में ली जा रही है 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग और भूकंप रोधी मापन भी किया गया है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को विहिप मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि राम मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहे का प्रयोग नहीं होगा. मंदिर निर्माण पीसीसी टेक्नोलॉजी पर आधारित रहेगा. राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा. लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे. अब सारे काम एक्सपर्ट के हाथ में है. जल्दीबाजी नहीं की जा सकती.
- आईआईटी चेन्नई ने 263 फिट गहराई की मिट्टी के सैंपल लिए हैं. भूकंप का असर जानने के लिए 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग की गई है.
- भूकंप रोधी मापन भी किया गया है. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और आईआईटी चेन्नई मिलकर टेस्टिंग रहे हैं.
- मंदिर में 1 ग्राम भी लोहा नहीं, जमीन में भी लोहे का इस्तेमाल नहीं. मंदिर पीसीसी टेक्नोलॉजी आधारित रहेगा.
- ढाई एकड़ में लगभग 1200 खंबों की पीलिंग होगी और एक पीलिंग ढाई मीटर की होगी. इसके ऊपर मंदिर का आधार होगा. लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे.
- अब सारे काम एक्सपर्ट के हाथ में है. जल्दीबाजी नहीं की जा सकती.
- कम से कम 36 महीने मंदिर निर्माण में लगेंगे ही. 36 से 40 महीने हो सकता है लेकिन 36 से कम नहीं लग सकता. उतना धैर्य रखना ही पड़ेगा.
मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा और उसके बाहर परकोटा बनेगा. मंदिर को जोड़ने के लिए तांबे की पट्टियों की जरूरत होगी. लगभग तांबे की 10,000 पट्टियां लगेंगी, 18 इंच लंबी, 3 मिमी मोटी, 30 मिमी चौड़ी. लोग अपनी ओर से अपने गांव-मोहल्ले का नाम लिखकर भेजें उसको मंदिर में लगाएंगे. ये आमजन की तरफ से सीधा योगदान होगा. इसके लिए 2-2 इंच की 10,000 रॉड भी चाहिए.
लोग अपनी ओर से अपने गांव-मोहल्ले का नाम लिखकर भेजें उसको मंदिर में लगाएंगे
मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा और उसके बाहर परकोटा बनेगा. मंदिर को जोड़ने के लिए तांबे की पट्टियों की जरूरत होगी. लगभग तांबे की 10,000 पट्टियां लगेंगी, 18 इंच लंबी, 3 मिमी मोटी, 30 मिमी चौड़ी. लोग अपनी ओर से अपने गांव-मोहल्ले का नाम लिखकर भेजें उसको मंदिर में लगाएंगे. ये आमजन की तरफ से सीधा योगदान होगा. इसके लिए 2-2 इंच की 10,000 रॉड भी चाहिए.
खुदाई में निकली चीजों के लिए बनेगा म्यूजियम
चंपत राय ने कहा, जो भी चीज अब तक खुदाई में निकली है हम उसको दर्शनीय बनाकर लोगों के लिए रखेंगे. 1991 से 12 फीट नीचे के लेवल पर जब गए तो वहां एक प्राचीन शिवलिंग मिला है. कसौटी पत्थर के काले रंग के 7 चौखट की नक्कासी, कमल के फूल का आमलख, खंबों पर बनी गणपति और यक्ष-यक्षिणी की मूर्तियां मिली हैं. 12 से 15 टन पत्थरों के टुकड़े निकले हैं. उसके लिए म्यूजियम बनाना पड़ेगा.