ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (BARC India) भारतीय टेलीविजन (Indian Televison) को लेकर सटीक आंकड़े जारी करता है. संपूर्ण लॉकडाउन के ठीक पहले इस संस्‍था ने एक आंकड़ा जारी कर बताया था कि 14 मार्च से 20 मार्च के बीच टेलीविजन की पहुंच में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. 25 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संबोधन को 19.7 करोड़ भारतीयों ने टीवी पर देखा था. अब बार्क इंडिया ने एक और आंकड़ा जारी किया है. जिस दौर में इंडियन टेलीविजन के पास सबसे ज्यादा दर्शक हैं, उस दौर में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला धारावाहिक ‘रामायण (Ramayan)’ है. इसकी व्यूवरशिप महज ग्रामीण क्षेत्र में नहीं, बल्कि शहरों में भी है. लोग टूटकर इस धारावाहिक को देख रहे हैं.

प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने बार्क इंडिया के हवाले से एक टीआरपी रिपोर्ट दी है. उनके मुताबिक टीआरपी के मामले में ‘रामायण’ (Ramayan) की टक्कर में इस वक्त कोई दूसरा शो नहीं है. पिछले पांच सालों में यानी साल 2015 से लेकर अब तक जनरल एंटरटेनमेंट कैटगरी के मामले में यह बेस्ट सीरियल बन गया है. प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने ट्वीट कर बताया, “मुझे यह बताते हुए काफी मजा आ रहा है कि दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहा शो ‘रामायण’ 2015 से अब तक का सबसे अधिक टीआरपी जेनरेट करने वाला हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट शो बन गया है.”

एक जमाने बाद यह एक ठोस प्रमाण मिला है, जिसने उन दलीलों को खारिज कर दिया है, जिनमें लगातार ऐसे दावे किए जाते हैं कि भारतीय टीवी के दर्शक ‘सास बहू’ के धारावाहिकों से उबरना ही नहीं चाहते. भारतीय टीवी के दर्शक को प्रयोगधर्मी धारावाहिक पसंद नहीं हैं, ग्रामीण परिवेश की कहानियां नहीं पसंद, मैथोलॉजी में मिर्च-मसाला चाहिए, एकता कपूर ने इंडियन टीवी के दर्शकों को कुछ ऐसा परोस दिया है कि वे इससे उबरना नहीं चाहते आदि.

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दरअसल, इंडिया में टेलीविजन के उदय के बाद दूरदर्शन लगातार काफी प्रभावशाली धारावाहिकों का निर्माण कर रहा था. प्रोड्यूसर बेहद महत्वपूर्ण विषयों पर धारावाहिकों का निर्माण करते थे. इनमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों ऑडिएंस के लिए सामग्री परोसी जाती थी. लेकिन केबल नेटवर्क आने के बाद कई तरह के प्रलोभन देकर ग्रामीण ऑडिएंस को दूरदर्शन से दूर किया गया. इसके बाद शहरी मानसिकता को ध्यान में रखकर धारावाहिकों का निर्माण किया जाने लगा.

इसके बाद धीरे-धीरे टीवी इंडस्‍ट्री पर एक खास किस्म के धारावाहिकों का दबदबा बन गया. असल में खुद धारावाहिकों के निर्माण में लगे लोग शहरी परिवेश से ही आते थे, उन्होंने लगातार शहर के इर्द-गिर्द ही लोगों को कहानियां दिखाई-सुनाईं. एक दौर ऐसा आया जब अनायास विजुअल इफेक्ट्स के साथ एक शॉट को छह-छह बार दिखाया जाने लगा. तब भी कहा गया कि यही दर्शकों की मांग है. लेकिन बाद में मजाक बनाए जाने के बाद ट्रेंड में चेंज आया और साधारण तरीकों से कहानियों को कहा जाने लगा.

इसके बावजूद अगर दर्शकों को वही देखना पसंद होता, जिसको लेकर आजकल के प्रोड्यूसर तर्क देते हैं तो किसी हाल में ‘रामायण’ की टीआरपी ऊपर नहीं जाती. क्योंकि इन दिनों कमोबेश सभी टीवी चैनल अपने बेस्ट शोज का रीपीट टेलीकास्ट शुरू कर चुके हैं. निश्चित ही ऑडिएंस उनकी ओर आकर्ष‌ित होती, ना कि रामायण की तरफ. लेकिन जब एक बार फिर से दर्शकों को ‘रामायण’ देखने का मौका हाथ लगा तो उन्होंने बता दिया कि उन्हें क्या देखना पसंद है.

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इस बारे में ‘रामायण’ में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल (Arun Govil) कहते हैं, “मुझे हमेशा से भरोसा था कि रामायण का प्रसारण जिस भी दौर में किया जाएगा, दर्शकों का प्यार उसे मिलेगा. कई मर्तबा इसके पुनः प्रसारण पर विचार किया जाता था लेकिन शायद इसके पुराने कीर्तिमान को देखकर लोग डर जाते थे कि अगर इस बार दर्शकों का प्यार नहीं मिला तो.., लेकिन मुझे इसका पूरा भरोसा है कि हर दौर में अगर इसका प्रसारण हो ऑडिएंस इसे देखेगी.”

न्यूज 18 से बातचीत में ‘रामायण’ को मिल रही इतनी बड़ी सफलता पर कॉमेडियन राजू श्रीवास्‍तव कहते हैं, “मेरा मानना है कि लोग अब आधुनिकता से ऊब गए हैं. अब लोग अपनी मिट्टी और अपनी जड़ों में लौटना चाहते हैं. लोग अपने संस्‍कार, रीति-रिवाज को ज्‍यादा अपना रहे हैं. आप देखिए लोग 5 स्‍टार होटलों में अब लोग कुल्‍हड़ वाली चाय मांगते हैं या बड़े -बड़े होटलों में पत्तल में खाना परोसा जा रहा है. ये लोगों का अच्‍छा लगता है. एक कहावत है न कि दुख में सुम‍िरन सब करें, सुख में करे न कोई. यानी जब विपदा आई है तकलीफ में आए हैं तो लोगों को भगवान याद आए हैं. तो मुझे लग रहा है कि वही हुआ है.”

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न्यूज 18 से बात करते हुए स्क्रीनराइटर गौरव सोलंकी ने कहा, “रामायण या महाभारत को टीआरपी पर परखने की वैसे भी ज़रूरत नहीं है. यह बात तो है कि इस समय लोग घरों में हैं इसलिए ज़्यादा देख रहे हैं. लेकिन जो लिखा हुआ सैकड़ों सालों से लोगों के बीच वैसे भी ज़िंदा है, वो समय की परीक्षा तो पार कर ही चुका है. इनके बहुत सारे किरदार धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों से भारत के जनमानस में गुथे हुए हैं. ये कथाएं हमारी ज़िंदगी, त्योहारों और मुहावरों का हिस्सा हैं. इनका असर हमारी बहुत सारी लोकप्रिय फ़िल्मों की कहानियों और रिश्तों पर भी है. महाभारत तो इतना विशाल है और इतना रोचक कि शायद ही दुनिया में इतना बड़ा एपिक रचा गया हो. मुझे तो इंतज़ार है कि हम नए इफ़ेक्ट्स, और बेहतर स्क्रीनप्ले और बेहतर प्रोडक्शन वैल्यू के साथ महाभारत को फिर से बनाएं.”

टीवी क्रिट‌िक सलिल अरुणकुमार सण्ड कहते हैं, “यह सच है कि रामायण देखा जा रहा है. युवा भी इस वक्त रामायण को पसंद कर रहे हैं. असल में रामायण को प्रसारित हुए 33 साल हो गए हैं. ऐसे में एक नई पीढ़ी बड़ी हो गई है जिसने कभी इस रामायण को देखा नहीं. बल्कि इसकी कहानियां सुनी हैं. लोगों में मन में उत्कंठा रही होगी, अब वे देख पा रहे हैं.”

उल्लेखनीय है कि रामानंद सागर कृत ‘रामायण’ जनवरी 1987 से जुलाई 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था. यह भागवान श्रीराम के जीवन संघर्ष पर आधारित कथा है. कई लोग इसके बारे में इस तरह भी कहते हैं कि महर्ष‌ि वाल्मीकि ने ईश्वर के आदेश पर रामायण लिखा, इसके बाद कलयुग में गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखकर इसके बारे में बताया. नई पीढ़ी को इस कथा के बारे में असल में रामानंद सागर ने ऑडियो-विजुअल के माध्यम से दिखाया. इसलिए इसे रामानंद सागर कृत रामायण कहते हैं. फिलहाल 33 साल बाद इसका पुनः प्रसारण किया जा रहा है और इसकी टीआरपी रिकॉर्ड तोड़ रही है.

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