शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल के बंदियों, सिपाहियों व अन्य जेलकर्मियों के नाम पर फर्जी तरीके से राशन कार्ड बनवा कर राशन उठाव करने का मामला सामने आया है। यह खुलासा राशन कार्ड लाभुकों की ऑनलाइन सूची जारी होने के बाद हुआ है। इस गड़बड़झाला में डीलर व आपूर्ति विभाग की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने जांच का आदेश दिया है। मामला शहर के वार्ड 42 से पकड़ में आया है। शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा इसी वार्ड में है। 6 वर्षाें से जेल के बंदियों, सिपाहियों व जेल कर्मियों के नाम पर 170 से 180 फर्जी कार्ड बनवा कर राशन का उठाव किया जा रहा है।
आरोप- मामले में आपूर्ति विभाग और डीलरों की है मिलीभगत
वार्ड सतर्कता समिति के सदस्यों प्रतिभा देवी, राजेश कुमार, सुधीर ठाकुर ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद सेंट्रल जेल के नाम फर्जी राशन कार्ड बनवाने और राशन उठाव की जानकारी मिली। 10 जून को डीएम के यहां इस मुद्दे को लेकर अनशन पर बैठे। उन्हाेंने जांच का आश्वासन दिया है। इन लोगों का आरोप है कि घाेटाला डीलर व आपूर्ति विभाग की मिलीभगत से हुआ है।
जेल अधीक्षक बोले : पता नहीं है कैसे बना दिए गए इन सबके राशन कार्ड
नगर निगम क्षेत्र के वार्ड 42 की पार्षद अर्चना पंडित ने बताया कि वर्ष 2014 में राशन कार्ड बन कर आया। उसके वितरण के दौरान 170 से 180 राशन कार्ड मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल परिसर के थे जो बंदियों, सिपाहियों व कर्मचारियों के नाम थे। तत्कालीन जेल अधीक्षक से जब बात की तो जेल अधीक्षक ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि किस तरह बंदी, सिपाही, जेल कर्मी के नाम पर राशन कार्ड बना। सिपाही व बंदी ताे स्थानांतरित होते रहते हैं, राशन कार्ड का वितरण नहीं हो सकता। नगर निगम के जमादार को राशन कार्ड वितरण की जिम्मेदारी थी। जमादार ने राशन कार्ड एसडीओ कार्यालय में जमा कर दिया। इधर, लाभुकों की सूची ऑनलाइन होने पर मामला सामने आया। जांच में यह भी खुलासा होगा कि जब राशन कार्ड एसडीओ कार्यालय में जमा कर दिए गए तो वहां से कैसे निकले अाैर कब से उन राशन कार्डाें पर उठाव किए जा रहे हैं?
170 से अधिक बना दिए गए शहीद खुदीराम बोस केन्द्रीय कारा से जुड़े फर्जी कार्ड
इस तरह की शिकायत सामने आई है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। मामला सही निकला तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। राशन की रिकवरी भी की जाएगी। -डॉ. कुंदन कुमार, एसडीओ पूर्वी।
Input : Dainik Bhaskar