केंद्र सरकार ने तमाम विरोध के बीच आखिरकार रेलवे के निजीकरण की ओर कदम बढ़ा दिया है। दिल्ली-लखनऊ ‘तेजस’ देश की पहली प्राइवेट ट्रेन होगी। रेलवे ने 100 दिन के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए शुरुआती तौर पर 2 प्राइवेट ट्रेन चलाने का फैसला किया है। रेल कर्मचारियों के यूनियनों के विरोध के बावजूद रेलवे ने दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी पूरी कर ली है। ऐसा हुआ तो दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस निजी ऑपरेटर द्वारा संचालित होने वाली देश की पहली ट्रेन होगी। रेलवे बोर्ड दिल्ली-लखनऊ के अलावा दूसरे 500 किमी दूरी के मार्ग के चयन में जुटी है, जहां दूसरी प्राइवेट ट्रेन चलाई जाएगी। साथ ही रेलवे बोर्ड दूसरे ऐसे मार्ग पर भी विचार कर रहा है, जिसका दायर 500 किलोमीटर की दूरी के भीतर हो।

दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस की घोषणा 2016 में की गई थी, लेकिन हाल में जारी नई समय सारिणी में इसे जगह मिली है। बहुप्रतीक्षित ट्रेनों में शामिल यह ट्रेन फिलहाल उत्तर प्रदेश के आनंद नगर रेलवे स्टेशन (महाराजगंज जिले के फरेंदा में यह स्टेशन पड़ता है।) पर खड़ी है और परिचालन के लिए खुली निविदा प्रक्रिया के बाद इसे निजी संचालकों के हवाले किया जाएगा। हालांकि, ट्रेनों को इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) को सौंपा जाएगा। वह लीज शुल्क समेत इसके लिए वित्तीय कंपनी IRFC को भुगतान करेगी।

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गौरतलब है कि तेजस देश की पहली ऐसी ट्रेन है जो 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। जानकारी के मुताबिक तेजस एक्सप्रेस के एक डिब्बे को बनाने का खर्च तकरीबन 3 करोड़ 25 लाख रुपए आया है। तेजस एक्सप्रेस देश में चलने वाली पहली ऐसी ट्रेन होगी जिसमें स्वचालित प्लग टाइप दरवाजे लगाए गए हैं। यानी जब ट्रेन चलेगी तो इस के दरवाजे ऑटोमेटिक तरीके से ठीक उसी तरीके से बंद हो जाएंगे जैसे मेट्रो ट्रेन के दरवाजे बंद होते हैं। चलती ट्रेन में ही दरवाजे नहीं खुलेंगे जब ट्रेन रुकेगी तभी यह दरवाजे खुल पाएंगे। तेजस ट्रेन का नाम सूर्य की किरणों की तरह तेज रहने के लिए रखा गया है। बताया जा रहा है कि फिलहाल यह ट्रेन उत्तर प्रदेश के आनंदनगर रेलवे स्टेशन पर खड़ी है, जिसे ओपन बिडिंग की प्रॉसेस के बाद प्राइवेट प्लेयर को सौंप दिया जाएगा।

आपको बता दें कि भारतीय रेल के निजीकरण को और ज्यादा गति से करने के लिए, एक सात सदस्यों की कमेटी नीति आयोग के सदस्य तथा अर्थशास्त्री बिबेक देबराय की अध्यक्षता में सितंबर 2014 में गठित की गयी थी। इस कमेटी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि भारतीय रेल के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए निजी क्षेत्र को सवारी तथा माल गाड़ियां चलाने की अनुमति देनी चाहिये, रेल सम्बंधित आधारभूत सेवाएं तथा उत्पादन और निर्माण कार्य जैसे काम, जो रेलवे के लिए मूलभूत नहीं हैं, उनमें निजी क्षेत्र के सहभाग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

Input : News24

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