राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को जमानत मिल गई है। झारखंड हाई कोर्ट ने लालू को चारा घोटाले के देवघर कोषागर मामले में शुक्रवार को राहत प्रदान कर दी। चारा घोटाला के चार मामलों के सजायाफ्ता लालू प्रसाद की जमानत पर हाई कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू की जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने लालू की कुल तय सजा में से आधी सजा काटने की शर्त पर उन्‍हें जमानत दी है।

चारा घोटाले के केस संख्‍या 64 ए, देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में लालू को साढ़े तीन साल की सजा निचली अदालत से मिली है। लालू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से उच्‍च न्‍यायालय से इसी मामले में जमानत मांगी थी। फिलहाल दो मामलों में सजा होने की वजह से लालू को अभी जेल में ही रहना होगा। लालू को जमानत के लिए अदालत में अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा।

लालू प्रसाद यादव के अधिवक्‍ता देवर्षि मंडल ने बताया कि झारखंड उच्‍च न्‍यायालय ने चारा घोटाले के 64 ए, देवघर कोषागार मामले में 25 माह की सजा काट चुके लालू प्रसाद को मेरिट के आधार पर जमानत दी है। उन्‍होंने बताया कि अभी लालू को जेल में ही रहना होगा। उन्‍हें 68 ए और 38 ए मामले में जमानत का इंतजार है। बताया गया कि सुनील गांधी को भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से बेल रिजेक्‍शन के बाद झारखंड उच्‍च न्‍यायालय ने जमानत दी है।

हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान की है। साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी उन्‍हें अदा करना पड़ेगा। इस मामले में निचली अदालत ने लालू को दोषी पाते हुए साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। जमानत के लिए लालू को हाई कोर्ट में अपना पासपोर्ट भी जमा कराना होगा।

इधर सीबीआइ की ओर से केंद्रीय जांच एजेंसी के वकील ने लालू प्रसाद की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लालू का बेल रिजेक्‍ट कर दिया है। ऐसे में हाई कोर्ट को आधी सजा के बिना पर जमानत नहीं देना चाहिए। जिस पर लालू के वकील ने तर्क दिया कि लालू ने सुप्रीम कोर्ट से आधी सजा के नाम पर नहीं मेरिट के आधार पर जमानत मांगी थी।

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