मुजफ्फरपुर। लीची, अब किसानों के लिए उम्मीदों की फसल बनेगी। इलाके के खेत लीची के पेड़ से लहलहाएंगे। जबकि, बेरोजगारों के लिए यही लीची रोजगार का साधन बनेगी। इतना ही नहीं, मुजफ्फरपुर की लीची और इससे निर्मित उत्पाद अंतर राष्ट्रीय बाजार में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
रोजगार के खुले दरवाजे
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विशाल नाथ की लीची के विकास की पहल को अंतरराष्ट्रीय कंपनी कोका कोला ने सहयोग देकर मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार में रोजगार के भी दरवाजे खोल दिए हैं। वहीं लीची की खेती पर मंडराते खतरे के बादल भी छंट गए हैं। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर और कोका कोला कंपनी अब लीची के विकास पर साथ-साथ काम करेगी। इसके तहत उन्नत कोटि के लीची का उत्पादन किया जाएगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र टेक्निकल सपोर्ट उपलब्ध कराएगा, जबकि, कोका कोला मार्केटिंग और विदेशों में निर्यात करेगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक होगी पहुंच
बिहार के खेतों से उत्पादित लीची और लीची आधारित उत्पाद की पहुंच अंतर राष्ट्रीय बाजारों में भी होगी। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने कोका कोला के साथ काम करने को बड़ी उपलब्धि बताया। बताया कि यह केंद्र सरकार की स्कीम है। कोका कोला कंपनी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत लीची के विकास में सहयोग कर रही है। अब इलाके में लीची के विकास को गति मिलेगी। आधुनिक तकनीक से लीची की खेती की जाएगी। किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। नई तकनीक के साथ लीची का उत्पादन किया जाएगा। तीन चरणों में काम होगा। पहले चरण में वैसे पेड़ जो फल नहीं दे रहे है, उन्हें ठीक किया जाएगा।
तीन गुणा अधिक किया जा सकता उत्पादन
दूसरे चरण में पुराने बाग का जीर्णोद्धार और तीसरे चरण में नये बाग बनाए जाएंगे। बताया कि दो हजार हेक्टेयर में लीची की नई तकनीक से खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे आगे बढ़ाया जाएगा। कहा कि यह सहमति रोजगार का अवसर लेकर आया है। इससे किसान, रोजगार और ट्रांसपोर्टर को फायदा होगा। नई तकनीक से लीची का तीन गुणा अधिक उत्पादन किया जा सकता है। लीची का राष्ट्रीय उत्पादन सात टन है। जबकि, हमारी तकनीक 20 टन उत्पादन की है।
उत्पादन का तरीका, पैकिंग, मार्केटिंग, स्टोर और ग्रेडिंग आदि की व्यवस्था होगी। वहीं डॉ. विशाल नाथ ने युवाओं से लीची उत्पादन कर अपनी बेरोजगारी दूर करने की अपील की। कहा कि ट्रांसपोर्टर, मजदूर, युवा व किसान सभी इस पहल से लाभन्वित होंगे। साथ ही, कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में 20 कंपनियां ट्रेनिंग ले चुकीं हैं। वहीं 20 छोटी-छोटी कंपनियों द्वारा विकसित प्रोडक्ट को आगे बढ़ा रहीं हैं।
Input : Dainik Jagran