सुहाग की सलामती के लिए महिलाएं ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर सोमवार को वट सावित्री व्रत करेंगी। बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना कर कच्चा धागा बांध उसकी परिक्रमा करेंगी। इस बार वट सावित्री में सोमवती अमावस्या का संयोग बनने से यह बेहद खास रहेगा। मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत करने वाली स्त्री के पति पर आने वाल हर संकट दूर हो जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यभामा के प्राण को यमराज के यहां से वापस ले आई थी। इसलिए उन्हें सती सावित्री कहा जाता है।
पं. प्रभात मिश्र, पं. जयकिशोर मिश्र बताते हैं कि सुहागन महिलाएं सुबह में स्नान कर सोलह शृंगार करें। वट वृक्ष के नीचे सफाई कर सत्यवान और सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें और कथा का पाठ कर आशीर्वाद मांगें। उधर, व्रत को लेकर महिलाओं ने कपड़े से बने सावित्री, सत्यवान का जोड़ा, पंखा व पूजन सामग्री की खरीदारी की। सावित्री जोड़ा 40रु, पंखा 25 रु तो डलिया 25 रुपये में बिका। पंकज मार्केट में खरीदारी करने पहुंची आराधना, सुचित्रा व मोनिका देवी ने बताया कि यह व्रत बेहद खास मायने रखता है। सुहाग की सलामती के आगे महंगाई की परवाह नहीं करना है।
Input : Hindustan