शहर के पांच सौ घरों में बूढ़ी गंडक नदी का पानी प्रवेश कर गया है। अधिकांश घर नदी की पेटी में बने हुए हैं। जीरो माइल चौक स्थित अहियापुर थाना में भी नदी का पानी प्रवेश कर गया है। बाढ़ से शहरी क्षेत्र के आधा दर्जन वार्ड प्रभावित हुए हैं।
वहीं प्रभावित क्षेत्र के लोग घर छोड़ बांध पर शरण ले रहे हैं। नदी को पानी मुक्तिधाम तक पहुंच गया है। नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए शहरी क्षेत्र स्थित सभी स्लूस गेट को बंद कर दिया गया है। इससे शहर के उत्तरी भाग से जल निकासी बंद हो गई है। निगम प्रशासन द्वारा पंपिंग सेट लगातार शहर से निकलने वाले गंदा पानी को नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। प्रभावित इलाकों में नदी किनारे स्थित झील नगर, कपरूरी ग्राम, हनुमंत नगर, चंदवरदाई नगर, आश्रम घाट, सिकंदरपुर ढाब, चंदवारा, सिकंदरपुर, आखाड़ाघाट आदि मोहल्ले शामिल हैं। नदी के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए सैकड़ों परिवार घर छोड़ सुरक्षित स्थान की ओर पलायन रहे हैं। खतरे की आशंका से बांध से सटे घरों में रहने वाले वाले लोग रतजगा कर रहे हैं। कर्पूरी ग्राम प्राथमिक विद्यालय में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने के कारण पठन-पाठन ठप हो गया है। स्लूस गेट से रिसाव की जानकारी के बाद महापौर सुरेश कुमार ने सिकंदरपुर एवं कमरा मोहल्ला स्लूस गेट का निरीक्षण किया। वार्ड 15 की पार्षद अंजू कुमारी, वार्ड 12 की पार्षद शहनाज खातून, वार्ड 14 के पार्षद रतन शर्मा एवं वार्ड 16 के पार्षद पवन राम एवं वार्ड 13 की पार्षद सुनीता भारती ने भी जिला प्रशासन से प्रभावित क्षेत्र में राहत शिविर लगाने का अनुरोध किया है।
मिठनसराय में दो नाव मुहैया कराई गई
बाढ़ प्रभावित मिठनसराय गांव में प्रशासन की ओर से दो नाव मुहैया कराई गई है। इस बीच बाढ़ में घर बार छोड़ने वाले ग्रामीण फोर लेन पर सहारा लिए हुए हैं। लेकिन इन लोगों के बीच किसी तरह की सहायता नहीं मिल रही है। इस बीच बेघर हुए बाढ़ प्रभावित लोग भगवान भरोसे रात बीता ने को विवश हो रहे हैं। शहर के काफी करीब स्थित आदर्श थाना बूढ़ी गंडक नदी के उफनती बाढ़ के चपेट में आ गया है। थाना के करीब तीन सीढ़ी तक पानी चढ़ गया है। इधर पुलिस कर्मी किसी तरह बाढ़ के पानी के बीच से होकर अपना ड्यूटी कर रहे है।
छतों पर शरण ले रहे लोग
नदी के पेटी में बने पक्का मकान के छतों पर शरण लेने वालों को भी सुरक्षा के मद्देनजर हटने को कहा है। पार्षदों ने कहा कि बांध पर शरण ले रहे लोगों के समक्ष पीने के पानी एवं शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती है।
Input : Dainik Jagran