‘मुल्क में कैसा मंजर देखते हैं’ ‘सबके हाथों में खंजर देखते हैं’ रचने वाले शायर अब नहीं रहे। हिन्दी व उर्दू के नामचीन शायर 88 वर्षीय प्रह्लाद नारायण खन्ना उर्फ खन्ना मुजफ्फरपुरी का निधन मुंबई में हो गया। वे सिकंदरपुर के रहने वाले थे। उनका जन्म 1931 में हुआ था। पेशे से वे बैंक अधिकारी थे। साथ ही साहित्यिक रचनाएं करते। शहर में दिन न घर में रात मिली, तन्हा-तन्हा मुझे हयात मिली। जिनकी फितरत में खाकसारी है, सर उठाकर चला नहीं करते जैसी रचनाएं खन्ना मुजफ्फरपुरी ने की। उनका संबंध गीतकार गुलजार व मेहदी अली खान से था।

हिन्दी व उर्दू भाषायी एकता को लेकर शहर के शायर असद निजवी के साथ उन्होंने साहित्यक अंजुमन संस्था की स्थापना की थी। उन्होंने मुजफ्फरपुर से मुंबई तक सैकड़ों साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। वर्ष 2006 में उनकी गजलों का संग्रह-तन्हा-तन्हा मुझे हयात मिली का प्रकाशन हुआ। हिन्दी व उर्दू की कई संस्थाओं से उन्हें उनके साहित्यिक अवदान के लिए सम्मानित भी किया गया। आकाशवाणी-दूरदर्शन से उन्होंने कई बार गजल का पाठ किया था। देश की विभिन्न पत्रिकाओं में उनकी गजलें प्रकाशित हो चुकी है। खन्ना मुजफ्फरपुरी के निधन पर डॉ. इन्दु सिन्हा, डॉ. पंकज कर्ण, श्यामल श्रीवास्तव, मीनाक्षी मीनल, डॉ. आरती, डॉ. भावना, डॉ. रमेश ऋतंभर, एमआर चिश्ती, पंकज वसंत, पंखुरी सिन्हा, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. रश्मि रेखा, डॉ. शारदा चरण, शशिकांत झा आदि ने शोक व्यक्त किया है।

जिला विधिक लिपिक संघ के अधिकारी सोनेलाल तिवारी के निधन पर सोमवार को कोर्ट परिसर स्थित कार्यालय में शोकसभा की गई। इसमें संघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंह, सचिव आनंद कुमार चौधरी, विनय प्रसाद, अनिल कुमार सिंह, विशंभर प्रसाद सिंह व लखिंद्र पांडेय ने शोक जताया।

Input : Dainik Bhaskar

 

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