बाबा रामदेव और उनकी संस्था पतंजलि का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है. बाबा ने जो कोरोना का दवा बनाने का दावा किया है. उसको लेकर तो लाइसेंस ही नहीं लिया था. बाबा रामदेव को तो सर्दी और खांसी का दवा बनाने का लाइसेंस मिला था, लेकिन बाबा ने इसी लाइसेंस पर कोरोना की दवा बनाने का दवा कर डाला.

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राजस्थान सरकार ने टेस्टिंग की नहीं ली अनुमति

राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बाबा पर निशाना साधा है. कहा कि महामारी के समय बाबा रामदेव ने इस तरह से कोरोना की दवा बेचने की कोशिश की है, जो अच्छी बात नहीं है. जो उन्होंने जयपुर में टेस्टिंग का दावा किया है उसको लेकर आईसीएमआर और राजस्थान सरकार ने कोई परमिशन दिया ही नहीं है. ऐसे में वह कैसे दवा कर रहे है.

जिस जगह पर टेस्टिंग की बात वहां पर कोरोना के मरीज ही नहीं

बाबा रामदेव ने जिस जगह 120 कोरोना मरीजों पर दवा की टेस्टिंग की बात की थी. वहां पर किसी ने देखा ही नहीं की कब टेस्टिंग हो रही है. जयपुर के मुख्य चिकित्सा प्रभारी ने कहा कि मैं वहां पर इंचार्ज था लेकिन कब टेस्टिंग हुई किसी ने देखा तक नहीं और नहीं कोई परमिशन लिया गया. वहां पर जो भी मरीज थे उनको कोरोना था ही नहीं.  किसी में बुखार, खांसी या गले की खराश नहीं था.

आयुष मंत्रालय के दिए रिसर्च पेपर से खुलासा

पतंजलि की दवा कोरोनिल के प्रचार पर रोक के बाद पतंजलि की और से आयुष मंत्रालय में रिसर्च पेपर दाखिल किया है. पेपर के अनुसार बताया गया है कि दवा की टेस्ट ऐसे मरीजों पर किया गया. जिसमें सिर्फ लक्षण काफी कम थे. जिन लोगों पर टेस्ट किया गया उनकी उम्र 15-80 साल की थी. इसका क्निकल ट्रायल जयपुर में किया गया था. बता दें कि मंगलवार को बाबा रामदेव और उनकी संस्था पतंजलि मंगलवार को दिन भी सुर्खियों में रही. दवा किया था कि उन्होंने कोरोना का दवा बना लिया है. बकायदा इसको लेकर पीसी किया और दवा को लॉन्च कर दिया था. लेकिन शाम को आयुष मंत्रालय ने इसके प्रचार पर रोक और इस दवा के बारे में जानकारी मांगी.

Input : First Bihar

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