अवतार व तकरार के तेज अंदाज दोनों निराले हैं। अपने खास गंवई अंदाज से सुर्खियों में रहे लालू प्रसाद के बड़े लाल विधायक तेजप्रताप यादव की अदाएं भी कम निराली नहीं हैं। तेज अपने पिता की तरह राजनीति में कितने सफल हैं, यह बहस का अलहदा विषय हो सकता है, मगर अपने अलग-अलग अवतारों से वह सुर्खियां बटोरने में जरूर कामयाब रहे हैं। इन दिनों ‘बम भोला’ अवतार से वह चर्चा बटोर रहे हैं। सावन आते ही राजद के ‘कृष्ण’ ने एक बार फिर‘शंकर’ का रूप धारण कर लिया है। पिछले साल भी सावन में उनका यही रूप दिखा था। तब वह देवघर में पूजा करने गये थे। वहां मृगा की छाल उन्होंने धारण की थी। रुद्रा फिल्म की शूटिंग के दौरान भी उनका यही रूप सामने आया था।

तेजप्रताप की भी अपनी खास शैली है। इस कारण सियासी गलियारे में उनमें लोग लालू की छाया देखते हैं। बात करने का अंदाज भी उनका लालू से मेल खाता है। होली के समय वह लालू की कुर्ता फाड़ होली की याद ताजा करते हैं। रिक्शा चलाते हुए तस्वीर खिंचवाकर खुद को गरीबों के हिमायती के बतौर पेश करते हैं। कभी गेरूआ वस्त्र धारण करते हैं तो कई बार अचकन पहनकर कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। एक बार अपने आवास पर जिलेबी छानने में जुट गये। उनकी यह तस्वीर भी वायरल हुई थी। हां, पिता की तरह वह गाय की सेवा करते कभी नजर नहीं आये या ऐसी कोई तस्वीर पोस्ट नहीं की। तेजप्रताप खुद को ‘कृष्ण’ बताते हैं। साथ में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को अर्जुन कहना भी नहीं भूलते हैं। बांसूरी बजाते हुए उनकी तस्वीर सबसे अधिक चर्चा में रही है। कार्यकक्रमों की शुरूआत वह बराबर शंख बजाकर करते हैं। उनका शंखनाद राजद में भी चर्चा का विषय होता है।

दूसरी ओर, तेज के तकरार के अंदाज भी कम चर्चा में नहीं रहे। पत्नी ऐशवर्या से अनबन हुई तो इसे सार्वजनिक करने में भी वह नहीं पीछे हटे। तालाक की अर्जी दायर की तो परिवार के दबाव से बचने के लिए वह वृंदावन निकल गये। वहीं जब राजद ने जब उनके ससुर चन्द्रिका राय को लोकसभा चुनाव में सारण से राजद उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने बागी तेवर दिखाया। ससुर के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। इसी तरह जब उनके कुछ खास समर्थकों को राजद का टिकट नहीं मिला तब वह पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की परवाह नहीं कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अपने समर्थक के पक्ष में प्रचार करने से भी नहीं चूके।

Input : Hindustan

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