विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर का कहना है कि भारत जैसे देश में कोई एक व्यक्ति राष्ट्रपिता नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘भारत जैसे देश में हजारों ऐसे महापुरुषों को भुला दिया गया जिन्होंने इस देश को बनाने में मदद की. इस देश का इतिहास 5 हजार साल पुराना है. मेरे हिसाब से गांधी राष्ट्रपिता नहीं हैं. ये देश सिर्फ चालीस-पचास साल पुराना नहीं है. यहां तक कि मैं राष्ट्रपिता के विचार में ही भरोसा नहीं रखता.’
दरअसल वीर सावरकर को लेकर नई बहस एक किताब के बाद शुरू हुई है. इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि आज देश में वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है. उन्होंने कहा कि देश को सावरकर के विचारों की जरूरत है. भागवत ने कहा कि देश में सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली थी. उन्होंने कहा कि सावरकर जोड़ने का प्रयास हैं.
भागवत ने कहा कि भारतीय परंपरा में धर्म का मतलब जोड़ने वाला है इसे पूजा से नहीं जोड़ सकते हैं. आज की भाषा में मानवता है. वे हिंदुत्व शब्द का प्रयोग करते थे लेकिन इसे ऐसा नहीं समझा जाता था.
क्या बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत
भागवत ने आगे कहा कि सर सैयद अहमद खां का हिंदू महासभा द्वारा स्वागत किया गया और जब कहा गया कि वो पहले मुस्लिम बैरिस्टर थे तो उन्होंने अपने भाषण में कहा कि क्या मैं अलग हूं? बिस्मिल ने कहा था कि अगर मेरा पुनर्जन्म हो तो भारत में ही हो. भारत से गए मुसलमान की प्रतिष्ठा पाकिस्तान में भी नहीं है. भारत में सभी के पूर्वज एक ही हैं. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अंग्रेजों का मानना था कि अपनी लूट को जारी रखने के लिए इन्हें तोड़ना होगा. जब यह कोलाहल होने लगा कि हम एक नहीं बल्कि दो हैं तो कहना पड़ा कि पूजा के नाम पर विभेद नहीं करना चाहिए और इसलिए उन्होंने कठोर बात कही.
Source : News18
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