अयोध्या से आई प्रभु श्री राम की बरात को लेकर सीतामढ़ी से दरभंगा तक उल्लास रहा। जहां-जहां से बरात गुजरी लोगों ने पुष्प वर्षा की। श्री राम के जयकारे लगाए। जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। आरती उतारी गई। सीतामढ़ी के पुनौरा धाम मंदिर में एक रात रुकने के बाद बरात सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे बाजपट्टी और पुपरी के रास्ते दरभंगा जिले के अहिल्या स्थान के लिए रवाना हुई। इससे पहले पुनौरा धाम मंदिर में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के अलावा साधु-संतों का भव्य आदर-सत्कार किया गया। बरातियों को अंगवस्त्र देकर विदाई दी गई। मिथिला की महिलाओं ने पारंपरिक गीतों से बरातियों के साथ हंसी-ठिठोली की। गाजे-बाजे और बधाइयां गूंजती रहीं। संपूर्ण आयोजन पुनौरा धाम के महंत कौशल किशोर दास के निर्देशन में हुआ। विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय कारसेवकपुरम से धर्मयात्रा महासंघ के संयोजक राजेंद्र सिंह ‘पंकजÓ के नेतृत्व में शामिल बरातियों में अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास दशरथ, दिगंबर अखाड़ा के मंत्री महंत वैष्णो दास महर्षि वशिष्ठ और हरिद्वार सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के महंत डॉ. वैष्णोदास महर्षि विश्वामित्र की भूमिका में हैं। रामायणी महंत राम अवतार दास के साथ दो रथ और दर्जनों वाहन के साथ तकरीबन 130 संत बरात में शामिल हैं।
ऐसा लग रहा, जैसे हम त्रेता युग में पहुंच गए : महंत कन्हैया दास
दशरथ की भूमिका में जानकी जन्मस्थली सीतामढ़ी पहुंचे अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि यह बरात अयोध्या से प्रत्येक पांच वर्ष पर निकलती है। बरात में शामिल होकर ऐसा लग रहा, जैसे हम त्रेता युग में पहुंच गए हैं। वह आनंद और उत्साह आज भी बरकरार है। त्रेता युग में राजा दशरथ ने जैसे ही सुना था कि उनके पुत्र राम ने धनुष तोड़ा है तो वे आनंद में झूम उठे थे। इस राम विवाह में लोग झूमते हुए जनकपुर जा रहे हैं।
अहिल्या स्थान में बरात का भव्य स्वागत
राम बरात सोमवार की दोपहर प्रसिद्ध अहिल्या स्थान पहुंची। पूरा क्षेत्र जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। इससे पूर्व बरात का भव्य स्वागत जिले के प्रवेशद्वार जाले के चंदौना में किया गया। बजरंग दल के जाले प्रखंड संयोजक रंजीत कुमार झा के नेतृत्व में फूलों की वर्षा की गई। पंचायत की मुखिया कुमकुम सिन्हा ने राम, लक्ष्मण, दशरथ व संतों की आरती उतारी। तदोपरांत बरात अहिल्या स्थान पहुंची। स्वागत के बाद बरात दरभंगा के लिए रवाना हुई। रात्रि विश्राम दरभंगा शहर स्थित श्यामा मंदिर में होगा।
28 को जनकपुर पहुंचेगी बरात
बरात सोमवार को दरभंगा में रात्रि विश्राम करेगी। मंगलवार को दरभंगा, गलमा धाम होते हुए मधुबनी के बासोपट्टी पहुंचेगी। बुधवार को बासोपट्टी से बिसौल, फुलहर व मधवापुर होते हुए नेपाल के मटिहानी पहुंचेगी। गुरुवार को मटिहानी से जलेश्वर और पिपरा के रास्ते जनकपुर पहुंचेगी। शुक्रवार को जनकपुर में तिलकोत्सव, शनिवार को जनकपुर में मटकोर पूजन और एक दिसंबर को जनकपुर के जानकी मंदिर में विवाह होगा।
Input: Danik Jagran