सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की खंडपीठ ने सोमवार को बहुचर्चित नवरूना मामले में सुनवाई की। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस संजय खन्ना ने सीबीआई को मामले की जांच के लिए तीन और महीने की मोहलत दे दी है। जानकारी हो कि इससे पहले नौ बार सीबीआई केस की जांच पूरी करने के लिए तय अवधि अपने आग्रह से बढ़वा चुकी है।
10वीं बार अवधि बढ़ाने के लिए सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी। मालूम हो कि, सीबीआई 14 फरवरी 2014 से इस केस की जांच कर रही है। नवरूना के परिजन अभी न्याय की आस लगाये बैठे हैं। नई गतिविधि पर सीबीआई के किसी भी अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से परहेज किया है। 25 नवंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंटस फोरम फॉर सेव नवरूना की अपील पर सीबीआई को जल्द से जल्द जांच पूरी करने का आदेश दिया था। दो साल की जांच के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट में मार्च 2016 में अवमानना याचिका दायर की गई, जिसपर मई 2016 में हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को छह महिने में जांच पूरी करने को कहा था। तब से लेकर अबतक नौ बार जांच की समय सीमा को विस्तार मिल चुका है।
चिंता में नवरूना के पिता, उठा रहे सवाल
नवरूना के पिता अतुल चक्रवर्ती, माता मैत्रेयी चक्रवर्ती और अन्य परिजन निष्पक्ष जांच, अपराधी के पकड़े जाने और नवरूना के न्याय मिलने की उम्मीद में बीते आठ साल से संघर्षरत हैं। पिता अतुल चक्रवर्ती ने रविवार को बताया कि निर्भया को न्याय मिलने से न्याय पाने की उम्मीद जगी है, लेकिन सीबीआई के तौर-तरीके से चिंता बढ़ी रहती है। आखिर इतना समय कैसे लगा। इससे असली अपराधियों को बचने का मौका मिल रहा है।
Input : Hindustan