यहां की ट्यूशन क्लासेस में लगी भीषण आग में अब तक कुल 23 मौतों की खबर है। इस घटना से पूरा देश ही स्तब्ध है। 19 बच्चों के शव शनिवार को जब यहां के श्मशान गृह में लाए गए, तब पूरा सूरत शहर ही उमड़ पड़ा। लोगों के आंसू थम नहीं रहे थे। इसके अलावा उन आंखों में जिम्मेदार लोगों के प्रति आक्रोश भी देखने को मिल रहा था।

किसे चुप रखा जाए, यही मुश्किल
कलेजा कंपा देने वाली इस घटना से पूरा देश ही द्रवित हो उठा है। कुल 23 में से 19 बच्चों की अर्थी जब उठी, तो किसी चुप किया जाए, यही मुश्किल थी। अंतिम यात्रा के दौरान पूरी तरह से सन्नाटा था। सभी चेहरे गमगीन थे। घटना का जो वीडियो सामने आया है, वह भीतर तक हिला देने वाला है।

दिखाई दी सूरतियों की संवेदनशीलता
इस भीषण स्थिति में सूरतियों ने अपनी संवेदनशीलता कायम रखी। नेता आए और पीड़ित परिवार को सांत्वना देकर चले गए। पर सूरतियों ने पूरे हाेश-हवास के साथ मृतकों के परिवारों के साथ रहे। अस्पताल से बच्चों के शवों को लाने से लेकर परिवार की हर जरूरत को पूरी करने के लिए पूरा शहर उनके साथ था। जब सभी शव वहां लाए गए, तो लोगों की रूलाई फूट पड़ी। कई बच्चों के अभिभावकों ने अपना होश ही खो दिया। उधर सूरतियों ने इन हालात में अर्थी तैयार करने के काम में पूरी मदद की।

मरना तो तय था, इसलिए कूदकर बचने का विकल्प पसंद किया
हम करीब 20 स्टूडेंट्स अभी क्लास में बैठे ही थे। तभी हमें धुआं दिखाई दिया। पहले तो हमने समझा कि किसी ने कागज जलाए हैं। पर तभी एक व्यक्ति ने आग के विकराल होने की सूचना दी। हम सब बाहर आ गए। दरवाजे-खिड़कियां तोड़ने की कोशिशें की। पर उसमें सफल नहीं हो पाए। बाहर जाने का एक ही रास्ता होने के कारण वहां धुआं भर गया था। आखिर में हमने सोचा कि क्लास के भीतर मरने से बेहतर है कि कूदकर बचने की कोशिश की जाए। इसलिए मैंने वहां से जम्प लगा दिया। जिससे मेरे हाथ और सिर में चोटें आई। रूचित वेकरिया स्टूडेंट

ईश्वर का नाम लेकर मैं कूद गया, लोगों ने मुझे कैच कर लिया
मेरे साथ 3 और 5 साल के बच्चे भी थे। काम्पलेक्स में एंट्री-एक्जिट एक ही होने के कारण बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं था। वहां सांस बंद होने लगी थी। बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। मैंने कुछ लोगों को कूदते देखा था, इसलिए मैंने भी जम्प लगा दी, नीचे मुझे कुछ लोगों ने कैच कर लिया। जिससे मेरी जान बच गई। मेरे शरीर पर कुछ चोटें पहुंची। रेंसी प्रकाशभाई रॉय

Input : Dainik Bhasakar

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.