सोनपुर मेले में गांवों के नक्शे उपलब्ध होंगे। कोई भी व्यक्ति शुल्क देकर वहां से अपने गांव का नक्शा सहजता से ले सकता है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। विभाग इसके लिए मेले में अपना स्टॉल भी लगाएगा और वहां विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहेंगे। नक्शा प्रिंट करने के लिए स्टॉल में प्लॉटर मशीन रहेगा। कोई रैयत 150 रुपए देकर अपने गांव का नक्शा तत्काल ले सकता है। विभागीय स्टॉल पर रैयत अपने गांव का नक्शा ले सकता है। इस नक्शे में उसके प्लॉट का भी नक्शा मौजूद रहेगा। प्लॉट का नक्शा होने के कारण कोई रैयत आसानी से गांव के सारे प्लॉट की जानकारी पा सकता है। मंगलवार को विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इसकी विस्तृत समीक्षा की।
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कैडस्ट्रल सर्वे और रिविजनल सर्वे दोनों के मैप उपलब्ध रहेंगे
कैसे मिलेगा नक्शा
कोई रैयत मेले में विभाग के स्टॉल पर जाकर अपने गांव के नक्शे की मांग कर सकता है। इसके लिए प्रति शीट 150 रु. देने होंगे। स्टॉल में प्लॉटर मशीन लगे होंगे और कर्मी संबंधित गांव का नक्शा प्रिंट कर दे देगा। कई गांव ऐसे हैं जिनका नक्शा एक से अधिक शीट पर प्रिंट होगा। तो प्रति शीट के हिसाब से पैसा देना होगा।
सोनपुर मेले में गांवों के नक्शे मिलेंगे। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निदेशित किया गया है। ताकि स्टॉल पर लोगों की लंबी कतारें न लगें और सबको सहजता से नक्शा उपलब्ध हो सके। – विवेक सिंह,
प्लॉटर मशीन से प्रिंट होगा
प्लॉटर मशीन एक विशेष मशीन है। इससे बड़े साइज के नक्शे ( ए0) की प्रिंटिंग होती है। मेले में कम से कम दो प्लॉटर मशीन होंगे। पूरी माॅनिटरिंग विभाग की होगी। लेकिन इस स्टॉल के संचालन की जिम्मेवारी सारण के अपर समाहर्ता व विशेष सर्वेक्षण कार्यालय, गुलजारबाग के उपनिदेशक को सौंपी गई है।
अंग्रेज के समय का भी नक्शा चाहेंगे तो मिलेगा
मेले में कैडस्ट्रल सर्वे और रिविजनल सर्वे के साथ चकबंदी के नक्शे मिलेंगेे। कैडस्ट्रल सर्वे अंग्रेजों के समय वर्ष 1890 से 1920 के बीच हुआ था। यह प्रामाणिक है। आजादी के बाद कैडस्ट्रल सर्वे के आधार पर ही राज्य सरकार ने रिविजनल सर्वे शुरू किया लेकिन 30-40 सालों के बाद भी पूरा नहीं हो कहा। कई जिलों में सर्वे तो हुआ पर अभियान पूरा नहीं हो सका। इनके नक्शे भी मिलेंगे। जहां चकबंदी हो चुकी है, वहां के नक्शे भी ले सकेंगे।
Input : Dainik Bhaskar