साल 2016 में स्नातक द्वितीय खंड के रिजल्ट में भारी धांधली कर फेल को पास और परीक्षा से गैरहाजिर रहने वालों का भी रिजल्ट देने के मामले में फरार चल रहे आरो’पितों में एक को गिर’फ्तार कर लिया गया है। विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष रामनाथ प्रसाद के मुताबिक रविवार सुबह अमित पाण्डेय नामक आ’रोपित को उसके घर सर गणेशदत्त मोहल्ले से गिरफ्तार किया गया। अमित उन सात नामजद आरोपितों में इकलौता शख्स है, जो विश्वविद्यालय का किसी भी रूप में कर्मचारी न होते हुए अपनी बुद्धि, विवेक व दमखम से दलाली का कार्य बड़े शान से करता रहा है।

यही कारण है कि एलएन कॉलेज टेबुलेशन सेंटर पर वह बिना अनुमति कार्य कर रहा था। पुलिस के मुताबिक अमित ही पूरे खेल का मास्टरमाइंड है, जिसके मेल में आकर नामजद आरोपितों ने रिजल्ट में हेराफेरी की। इस प्रकार, सालों कड़ी मेहनत और तत्परता से पढ़ाई करते रहने वाले छात्र-छात्राओं के साथ विश्वासघात भी किया जो अपनी मेहनत की बदौलत अच्छे रिजल्ट का सपना देख रहे थे।

इन आरोपितों ने वैसे विद्यार्थियों का सपना चकनाचूर कर उन छात्रों को अच्छे नंबर से पास कर दिया जिन्हें कायदे से फेल घोषित किया जाना चाहिए। हद तो ये भी इन सबने उन्हें भी पास करा दिया जो परीक्षा में सम्मिलित भी नहीं हुए थे। जांच में ये बात भी सामने आई है कि न सिर्फ उस साल के स्नातक द्वितीय खंड बल्कि प्रथम खंड के रिजल्ट में भी गड़बड़ी की गई थी।

ये हैं नामजद आरोपित

-अरूण कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, मनोविज्ञान, पंडित उगम पाण्डेय कॉलेज, मोतिहारी

-डॉ. धर्मेंद्र चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र, एनएन कॉलेज सिंघाड़ा

-डॉ. संतज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसएनएस कॉलेज, मुजफ्फरपुर

-राजकिशोर ठाकुर, असिस्टेंट प्रोफेसर, अक्षयवट्ट कॉलेज, महुआ

-रणवीर रंजन, एसोसिएट प्रोफेसर, एलएन कॉलेज भगवानपुर

-रंजन कुमार, टीडीसी पार्ट थ्री का असिस्टेंट

-अमित पाण्डेय, विश्वविद्यालय में सक्रिय रहा दलाल

मामला 2016 का, भागे फिर रहे दूसरे

रिजल्ट तैयारी करने में गड़बड़ी का यह मामला 2016 का है। लेकिन, पुलिस की दबिश को देखते हुए उससे पहले तथा बाद के भी कुछ लोग डरे हुए हैं और भागे फिर रहे हैं। वर्ष 2016 में रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ की गई थी। इस मामले में रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार राय ने 16 दिसंबर, 2018 को विवि थाने में एफआइआर कराई थी। जिसमें टेबुलेटर, स्पेशल टेबुलेटर व परीक्षा विभाग के कर्मी समेत सात नामजद आरोपितों के अलावा अन्य दूसरे लोग भी हैं। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को भी पुलिस ने अपनी जांच में कसूरवार ठहराया है। इस सभी के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन व पुलिस की जांच रिपोर्ट दोनों ही में आरोप सही पाए गए। लिहाजा, पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है।

Input : Dainik Jagran

 

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