Smart city mission के तहत कपड़ा मंडी सूतापट्टी एवं लहठी मंडी इस्लामपुर की सूरत बदलने वाली है। दोनों वाणिज्यिक क्षेत्र को स्मार्ट बाजार के रूप में विकसित करने का डीपीओ तैयार हो गया है। जल्द ही इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। साथ ही सिकंदरपुर झील व पंडित नेहरू स्टेडियम के विकास का खाका भी तैयार कर लिया गया है। सिकंदरपुर झील के डीपीआर का 22 फरवरी एवं स्टेडियम के डीपीआर का खाका 25 फरवरी को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही तिलक मैदान स्थित निगम की जमीन पर स्मार्ट मार्केट का निर्माण होगा। इसके डीपीआर का प्रदर्शन 22 फरवरी को किया जाएगा।
इस आशय का फैसला स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा की अध्यक्षता में सोमवार को कंसल्टेंट के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया। बैठक में कंपनी के कार्यपालक अभियंता सुरेश कुमार सिन्हा, अपर नगर आयुक्त विशाल आनंद आदि शामिल हुए।
बैठक में इन बिंदुओं पर हुए फैसले :
– वाणिज्यिक क्षेत्र सूतापट्टी, बैंक रोड और टॉवर चौक क्षेत्र का तेजी से सुधार और सड़क का विकास होगा। मंगलवार को उसके डीपीआर की प्रस्तुति
– तिलक मैदान स्थित निगम बाजार के पुनर्विकास को डीपीआर भी 22 फरवरी से पहले अंतिम डीपीआर प्रस्तुत किया जाएगा।
-शहर में महत्वपूर्ण स्थानों पर आरओ वाटर प्लांट की निविदा निकाली जाएगी।
मार्च तक शुद्घ पेयजल घर-घर पहुंचाने की तैयारी
तापमान में इजाफा होने के साथ ही मुजफ्फरपुर में पेयजल संकट उत्पन्न होना कोई नई बात नहीं है। इस बार भी इलाके में पेयजल संकट होगा, इससे भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। इन सबके बीच शासन-प्रशासन ने भी पेयजल संकट पर काबू पाने के लिए अभी से ही तैयारी पूरी कर ली है। हर घर नल जल योजना के तहत घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने की पहल जारी है।
पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाने पर काम
विभाग का दावा है कि इस योजना के तहत मार्च तक जिले के पांच हजार वार्डोंं में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा दिया जाएगा। शहर से लेकर गांव तक पाइप लाइन के जरिए लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए काम चल रहा है। काफी हद तक काम हो चुका है। शेष काम को 31 मार्च तक पूरा कराने का निर्देश दिया गया है। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार ने बताया कि जिले में कहीं भी जल संकट जैसी तस्वीर नहीं है। सरकार और विभाग जल संकट से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, शहरी क्षेत्र में जलस्तर लगातार नीचे गिर रहा है। पिछले कई वर्षों से लोग पेयजल के लिए सबमर्सिबल पर निर्भर हैं।
Input : Dainik Jagran