नई दिल्ली. देश में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के बीच अब बच्चों से लेकर बड़ों तक की स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है. कोरोना (Corona) महामारी के बाद देश में लगे लॉकडाउन (Lockdown) के चलते देश में बड़ी संख्या में बच्चों का टीकाकरण (Vaccination) नहीं कराया जा सका है. अगर समय पर इन बच्चों का जरूरी टीकाकरण नहीं कराया गया तो आने वाले समय में इन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी से गुजरना पड़ सकता है.

यही नहीं लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में आई कमी का असर गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों पर भी देखने को​ मिला. कोरोना के डर से मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों ने अपने आपको घरों में कैद कर लिया, जिसके कारण उनका सही इलाज नहीं किया जा सका. अगर ज्यादा दिन ऐसी ही स्थिति बनी रही तो बुजुर्गों और महिलाओं को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

लॉकडाउन का बच्चों पर किस तरह पड़ा असर

  • लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते बच्चों का टीकाकरण अभियान काफी प्रभावित हुआ है. जिसे अगर जल्द शुरू नहीं किया गया तो बच्चों को आगे आने वाली जिंदगी में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
  • जनवरी से अप्रैल में टीकाकरण की संख्या में 64% की कमी आई है.
  • सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2020 तक 44% बच्चे टीकाकरण से वंचित रह जाते थे जबकि अप्रैल 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 77% हो गई है.
  • लगभग 10 लाख बच्चों का बीसीजी टीकाकरण नहीं हो सका. बच्चों को लगाया जाने वाला बीसीटी टीका उन्हें टीबी से सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
  • जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में बीसीजी टीकाकरण 50% तक कम किया गया.
  •  मार्च 2020 के मुकाबले अप्रैल में बीसीजी टीकाकरण में 42% की गिरावट दर्ज की गई.
  • इसी तरह देश के लगभग 6 लाख से अधिक बच्चों ने इस दौरान पोलियो वैक्सीन नहीं ली है.
  • जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में ओरल पोलियो (जन्म के समय पहली खुराक) 39% घट गई है.
  • लगभग 10 लाख 40 हजार बच्चों को पेंटावैलेंट टीकाकरण जो 5 घातक बीमारियों (मेनिन्जाइटिस, निमोनिया, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी और डिप्थीरिया) से बचा सकता है नहीं लगवाया है.
  • जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में पेंटावैलेंट टीकाकरण 68% गिरा है.
  • जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल 2020 में 69% बच्चों ने रोटावायरस टीका नहीं लगवाया.

 

महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा में कमी

  • अस्पताल में प्रसव मार्च 2020 की तुलना में अप्रैल में 35% तक गिर गया है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि इन बच्चों का जन्म कहां पर हुआ है.
  •  गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन और पूर्व-प्रसव संबंधी जांच के लिए नियमित परीक्षण जनवरी के मुकाबले अप्रैल 2020 में 51% तक कम किया गया है.

 

ओपीडी का कैसा है हाल

  •  पहले के महीनों की तुलना में अप्रैल में सभी अस्पतालों में ओपीडी आधे से ज्यादा कम हो गई.
  • ऑन्कोलॉजी, हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों के लिए ओपीडी सेवाओं में भी जनवरी के मुकाबले अप्रैल में 76% की गिरावट दर्ज की गई है
  • गंभीर बीमारी की ओपीडी जून तक बंद थी जिसके कारण मार्च की तिमाही की तुलना में जून की तिमाही में लगभग 70% की कमी दर्ज की गई है.
  • मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की ओपीडीमें 40% से अधिक की कमी आई है.

Input : News18

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