रंगों के पर्व होली पर इस बार सैकड़ों सालों बाद एक विशेष संयोग बन रहा है। आज यानी 9 मार्च को होलिका द’हन है जबकि कल यानी 10 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। होलिका द’हन के अगले दिन होली का उत्सव मनाया जाता है। समाज में होलिका द’हन का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। होली धार्मिक त्योहार के साथ-साथ रंगों का भी त्योहार है। सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां बांटते हैं।
इस साल होली पर गुरु और शनि का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ये संयोग 499 साल के बाद बना है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक 9 मार्च यानी आज गुरु अपनी धनु राशि में और शनि भी अपनी ही राशि मकर में रहेगा। ग्रहों के इस योग में होली आने से ये शुभ फल देने वाली रहेगी। इसे सुख-समृद्धि और धन-वैभव के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। मान्यता के मुताबिक होलिका दहन के बाद परिक्रमा करते हुए अगर अपनी इच्छा कह दी जाए तो वो सच हो जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। होली की बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन सुबह अपने घर ले जाने से सभी नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है।
ऐसे करें होलिका दहन
होलिका दहन के स्थान को जल साफ करें, अगर संभव हो तो गंगाजल से शुद्ध करें। होलिका डंडा बीच में रखें, यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है। इसके बाद डंडे के चारों तरफ पहले चन्दन लकड़ी डालें। इसके बाद सामान्य लकड़ियां, उपले और घास चढ़ाएं। इसके बाद कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें। होलिका दहन में पहले श्री गणेश हनुमान जी और शीतला माता भैरव जी की पूजा करें। अग्नि में रोली, पुष्प, चावल, साबूत मूंग, हरे चने, पापड़, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके साथ ही मन्त्र -ॐ प्रह्लादये नमः को बोलते हुए परिक्रमा करें।
होलिका की अग्नि में अर्पित करें ये चीज
अच्छे स्वास्थ्य के लिए के लिए होलिका की अग्नि में काले तिल के दाने अर्पित करना चाहिए। बीमारी से मुक्ति के लिए होलिका की अग्नि में हरी इलाइची और कपूर अर्पित करें। धन लाभ के लिए लिका की अग्नि चन्दन की लकड़ी अर्पित करें। रोजगार के लिए होलिका की अग्नि में पीली सरसों अर्पित करें। विवाह और वैवाहिक समस्याओं के लिए हवन सामग्री अर्पित करें।
पूजन मुहूर्त
भद्रा अवधि में शुभ योग
सुबह 10.16 से 10.31 बजे तक
भद्रा पश्चात लाभामृत योग
दोपहर 1.13 से शाम 6.00 बजे तक।
दहन मुहूर्त
कुल अवधि: शाम 6.22 से रात 11.18 बजे तक।
शुभ मुहूर्त: शाम 6.22 से रात 8.52 बजे तक।
प्रदोष काल विशेष मंगल मंगल मुहूर्त: शाम 6.22 से शाम 7.10 बजे तक।
होलिका पूजन मंत्र
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्तां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम।
होलिका पर भद्रा नहीं
इस बार होली दहन के दौरान भद्रा नहीं रहेगी। होली वाले दिन दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक भद्रा उपस्थित रहेगी। दोपहर 1:10 पर भद्रा समाप्त होने के बाद होली पूजन श्रेष्ठ होगा।
भद्रा में इसलिए है वर्जित
भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। शनिदेव की तरह उसका स्वभाव भी उग्र है। ब्रह्मा जी ने कालखंड की गणना और पंचांग में भद्रा को विष्टिकरण में रखा है। क्रूर स्वभाव के कारण ही भद्राकाल में शुभकार्य निषेध हैं। केवल तांत्रिक, न्यायिक और राजनीतिक कर्म ही हो सकते हैं। होली पांच बड़े पर्व में एक है। यह पर्व भी असुरता पर विजय का पर्व है। इस कारण भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है।
(मुजफ्फरपुर नाउ सी भी टोने-टोटके या अंध विश्वास को प्रोत्साहित नहीं करता है। आपका मानना या न मानना आपकी श्रद्धा पर निर्भर करता है।)